फिल्म समीक्षा : प्रभास और श्रद्धा की ‘फिल्म साहो’ एक्शन से है भरपूर, जो दुश्मनों के खट्टे कर रहा है दांत

350 करोड़ रुपये में बनने वाली प्रभास और श्रद्धा कपूर की फिल्म साहो इस शुक्रवार, 30 अगस्त को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. बाहुबली की कामयाबी के बाद ये प्रभास की पहली फिल्म है. जिसका फैंस को बेसब्री से इंतजार था| फिल्म को देखने के बाद आपको इसका म्यूजिक अच्छा लगेगा| लेकिन सॉन्ग फिल्म मे कई जगह जबरदस्ती डालें है ऐसा लगेगा.

फिल्म समीक्षा : प्रभास और श्रद्धा की फिल्म साहो एक्शन से है भरपूर, जो दुश्मनों के खट्टे कर रहा है दांत

बाहुबली की कामयाबी के बाद  प्रभास  के फैंस में उनकी फिल्म ‘साहो’ को देखना का इंतजार बढ़ा दिया था और साथ ही बेसब्री भी, पिछली बार जहां वे राजाओं के अंदाज में एक्शन करते नजर आए थे तो इस बार एकदम मॉडर्न अंदाज में दुश्मनों के दांत खट्टे कर रहे हैं.

हॉलीवुड स्टाइल हर मसाला समेटे ‘साहो के एक्शन सांसें रोक देते हैं. फिर प्रभास एक्शन करते हुए लगते भी कमाल हैं. कुल मिलाकर ‘साहो एक्शन प्रेमियों के लिए परफेक्ट मसाला है, लेकिन कहानी थोड़ी निराश कर सकती है ,क्योंकि डायरेक्टर ने एक बहुत ही सिम्पल कहानी पर एक्शन फिल्म बनाने की कोशिश की है.

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फिल्म की कहानी 2 हजार करोड़ की चोरी की है और गुंडों की बढ़ती गुंडागर्दी देख सबको एक रास्ता दीखता है अंडरकवर पुलिस अफसर प्रभास. प्रभास की एंट्री जब होती है जबरदस्त एक्शन देखने को मिलता है जिसकी उम्मीद दर्शको ने की होती है. और फिर रोमान्स का तड़का तब लगता है जब श्रद्धा कपूर की एंट्री होती है, प्रभास कहते हैं कि ‘वॉयलेंस ज्यादा हो गया है’ और रोमांस की बात करते हैं. लेकिन ‘साहो’ में यह रोमांस एक्शन को थोड़ा धीमा बनता है. फिल्म की कहानी में ढेर सारी विलेन्स और नए ट्विस्ट के साथ आगे बढ़ती है.

कुल मिलाकर सुजीत ने एक कमजोर कहानी को ‘बाहुबली’ बनाने की कोशिश की है , साहो में एक्टिंग की बात करें तो प्रभास ने बेहतरीन काम किया है . उनका धीमे-धीमे डायलॉग बोलने का एक स्टाइल है, जो कई जगहों पर जमता है . लेकिन एक्शन करते हुए बेजोड़ लगते हैं. उनकी कद-काठी और अंदाज एक्शन को बहुत छजता है. प्रभास की परदे पर मौजूदगी ‘साहो’ में जान डाल देती है. साहो का एक डायलॉग बहुत ही कमाल का है, ‘गली क्रिकेट में तो सब तेंदुलकर है, असली टैलेंट तो वो होता है जो भरे मैदान के बाहर सिक्सर मार सके.’

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बेशक एक्शन के मामले में वे सिक्सर मारने में कामयाब रहे हैं. फिल्म में दूसरा एक्टर जो ध्यान खींचता है, वह चंकी पांडेय है. चंकी पांडेय ने अपनी एक्टिंग से दिल जीता है. श्रद्धा कपूर का कैरेक्टर बहुत ही खराब ढंग से लिखा गया है. साहो का म्यूजिक अच्छा है, लेकिन ‘साहो’ में सॉन्ग फिल्म मे कई जगह जबरदस्ती डालें है ऐसा लगता है.

डायरेक्शन की बात करें तो सुजीत ने दिखा दिया है कि भारत में हॉलीवुड स्टाइल एक्शन रचा जा सकता है. फिल्म की सिनेमैटोग्राफी और ग्राफिक्स कमाल के हैं. डायरेक्शन भी ठीक है, लेकिन फिल्म की कहानी कमज़ोर है . कहानी में कुछ भी नया नहीं है, और चीजों को ठूंसने की कोशिश की गई है. ‘साहो’ कुल मिलाकर वहीं लोग पूरी तरह एंज्वॉय कर पाएंगे जो लोग प्रभास के डाई हार्ट फैन है.

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