फर्रुखाबाद के सरकारी गौशाला में नहीं थम रहा गायों के मरने का सिलसिला, नींद में सो रहा प्रशासन

REPORT – दिलीप कटियार/FARRUKHABAD

गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित कराने के लिए विभिन्न संगठन मांग उठा रहे हैं, लेकिन गोशाला में ही गोमाता की ऐसी दुर्दशा हो रही है। केंद्र और प्रदेश सरकार गायों की संरक्षण के लिए नित नए कदम उठाने का दावा कर रही है। फर्रुखाबाद जिले में सरकारी गौशाला में गायों के मरने का सिलसिला थम नहीं रहा है। हर रोज गौवंश की मौत के मामले सामने आ रहे हैं।

फर्रुखाबाद की कटरी धर्मपुर गौशाला में पिछले छह महीनों में देखभाल के अभाव में लगभग चार सौ से अधिक गौवंश की मौत हो चुकी है। इसके बावजूद शासन-प्रशासन गहरी नींद में सो रहा है।

गायों की मौत

गौशाला की स्थिति यह है कि यदि चंदा देने वाले लोग चंदा न दें, तो यहां 10 गायों का भी पालन पोषण करना संभव नहीं है। बताया जा रहा है कि सरकार द्वारा गौशाला को जो अनुदान दिया जा रहा है उससे एक बार के चारे का भी खर्चा नहीं चल सकता है।

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने किसानों की फसलों को दृष्टिगत रखते हुए आवरा गोवंशों को गोशाला में रक्षित करने के लिए जिला प्रशासन को निर्देश दिए थे।

इसके बाद जिला प्रशासन ने जिले में कई अस्थाई गौशालाएं बनाई थी। बेसहारा गोवंश को सड़कों से पकड़ कर अस्थाई गो-शालाओं तक तो पहुंचा दिया गया, लेकिन उनके लिए न तो पर्याप्त भूसा-चारा की व्यवस्था की गई और न गर्मी  से बचने की।  भूख और गर्मी  के चलते बेसहारा गोवंश की जान पर बन आई है।

शासन की ओर से एक करोड़ की धनराशि भेज दी गई है, लेकिन इसके खर्च के लिए कोई दिशा निर्देश न आने के चलते धनराशि डीएम के नाम खुले बैंक खाते में डंप पड़ी है।

ट्रांजिट हास्टल में बनी अस्थाई गोशाला में पिछले तीन दिनों में 40गायों की मौत हो चुकी है।जिला मुख्यालय पर ट्रांजिट हॉस्टल में बनी अस्थाई गोशाला में रखे गए मवेशियों में से पिछले तीन दिनों में तीन गायों की मौत हो चुकी है ।

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अस्थाई गौ शाला में  खाने के लिए रखी गई नांदे खाली पड़ी है। यहाँ इस समय 250 गौ बंश हैं जिनकी कोडिंग भी की गई है. ।ग्रामीणों का आरोप है कि गायों की देखभाल नहीं हो पा रही है।

न ही टाइम पर चारा मिल रहा है। भूख व बीमारी के कारण पशु दम तोड़ रहे हैं। बीमार पशुओं का उपचार भी नहीं किया जा रहा है। मृत पशुओं को गोशाला में दबा दिया जाता है ।  अधिकारी पशुओं की मौत को लेकर कुछ भी कहने से बच रहे हैं।

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