अगर पीएम मोदी को पता होता नोट बंदी से होगा ये नुकसान तो न लेते फैसला!

प्रोफेसर आशुतोष कुमारनई दिल्ली : मोदी सरकार बड़ी नोटें बंद करने के पीछे एक तर्क यह भी दे रही है कि कि और कुछ हो न हो, नोटबंदी से कैशलेस यानी बेनगदी इकोनॉमी बनाने में भरपूर मदद मिलेगी। लेकिन दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी के अध्यापक और लेखक जन संस्कृति मंच से जुड़े हुए प्रोफेसर आशुतोष कुमार ने सरकार से आने वाले खतरे से निपटने की अपील की है। साथ ही उन्होंने मोबाइल एप्प के जरिए किए भुगतान पर झेली समस्या भी बताई है।

उन्होंने कहा भारत दुनिया के सबसे नगदनिर्भर अर्थव्यवस्थाओं में है। यहाँ मोबाइल रखने वालों में से भी एक तिहाई ही एस एम एस करना जानते हैं। ये कठिनाइयां अपनी जगह, बेनगदी के कुछ बड़े खतरे भी हैं।

आशुतोष कुमार ने कहा कि पेटीएम ने बिना मुझसे पूछे मेरे खाते से दो सौ निकाल कर रूपए उबेर के खाते में डाल दिए। इस भुगतान को विवादित भुगतान के रूप में दिखाया। मेरा विवाद उबेर से जरूर चल रहा था, लेकिन उसके हल होने के पहले ही एकतरफा तरीके से पेटीएम ने मेरे खाते से विवादित राशि उबेर को सौंप दी।

उन्होंने कहा, मैने इस बारे में उनसे शिकायत की है। कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला है। मैं कानूनी कार्रवाई पर विचार कर रहा हूँ। लेकिन असली बात यह है कि बेनगदी व्यवस्था में आपके अपने पैसों पर आपका नियन्त्रण समाप्त हो जाता है।अक्सर आप जान भी नहीं पाते कि उस पैसे का कौन किसलिए इस्तेमाल कर रहा है, और कहाँ आपको चूना लगा रहा है।

प्रोफेसर आशुतोष कुमार का कहना है कि एक मैसेज या कॉल भेज कर मोबाइल, इंटरनेट और डीटीएच से जुड़ी गैरजरूरी मंहगी सेवाएं जारी कर दी जाती हैं और आपकी जेब नियमित रूप से कटने लगती है। पता चल ही जाए तो इन्हें बंद कराने के लिए आपको कई बार कस्टमर केअर को फोन करना पड़ सकता है लेकिन समस्या का हल नहीं निकलता।

ईबैन्किंग ने आपके खून पसीने की कमाई पर डाके डालने के अनेक आसान रास्ते खोल दिए हैं। ईबैंकिंग सुविधाएं और बेनगदी प्रगतिशील कदम साबित हो सकते हैं, अगर उन्हें व्यस्थित रूप से, सुरक्षा उपायों और जनप्रशिक्षण के साथ लागू किया जाए। अन्यथा वे आपकी मेहनत की कमाई पर डाका डाल सकते हैं।

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