प्रेरक-प्रसंग: हकीकत का आईना

एक नगर में एक मशहूर चित्रकार रहता था। चित्रकार ने एक बहुत सुन्दर तस्वीर बनाई और उसे नगर के चौराहे मे लगा दिया और…  नीचे लिख दिया कि जिस किसी को जहाँ भी कोई कमी नज़र आए वो निशान लगा सकता है। जब उसने शाम को तस्वीर देखी उसकी पूरी तस्वीर निशानों से ख़राब हो चुकी थी।

हकीकत का आईना

यह देख वह बहुत दुखी हुआ। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करे वह दुःखी बैठा हुआ था। तभी उसका एक मित्र वहाँ से गुजरा उसने उसके दुःखी होने का कारण पूछा तो उसने उसे पूरी घटना बताई।

उसने कहा एक काम करो कल दूसरी तस्वीर बनाना और उस मे लिखना कि जिस किसी को इस तस्वीर मे जहाँ कहीं भी कोई कमी नजर आये उसे सही कर दे।

उसने अगले दिन यही किया। शाम को जब उसने अपनी तस्वीर देखी तो उसने देखा की तस्वीर पर किसी ने कुछ नहीं किया।

वह संसार की रीति समझ गया। “कमी निकालना, निंदा करना, बुराई करना बेहद आसान होता है, लेकिन उन कमियों को दूर करना अत्यंत कठिन होता है।”

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