सफलता के पैमाने को समझाती ये कहानी आपकी जिंदगी में मुस्कान बिखेर देगी

ग्रेशा स्कूल से लौटकर घर आई, तो उसकी आंखों में आंसू थे, जो दादी ने देख लिए। दादी समझ गई कि कुछ तो गड़बड़ है। ग्रेशा बिस्तर पर लेटी सिसक रही थी। दादी ने उसकी पीठ पर हाथ रखते हुए पूछा, मुझे बताओ, क्या हुआ, मैं तो तुम्हारी दोस्त हूं। ग्रेशा ने कहा, दादी, मैं फिर गणित में फेल हो गई।

प्रेरक प्रसंग

दादी बोलीं, तुम्हें पता है, चार्ल्स भी तुम्हारी तरह था। वह कितनी भी मेहनत क्यों न कर ले, कभी उसके अच्छे नंबर नहीं आते थे। उसके दोस्त थे, लेकिन वे उसकी कद्र नहीं करते थे।

ठीक वैसे ही, जैसे तुम्हारे दोस्त तुम्हारे साथ रहते हैं। जैसे तुम्हें बैडमिंटन का शौक है, उसे गोल्फ का शौक था। लेकिन तुम्हारी तरह वह भी हर मैच हारा करता था।

फिर एक दिन कॉलेज की पत्रिका के लिए कहानियां लिखने का इश्तहार छपा। उसने कुछ कार्टून बनाए। हालांकि उसके कार्टून किसी को पसंद नहीं आए, पर चार्ल्स को यह आइडिया जरूर आ गया कि अब मुझे यही करना है। उसने कार्टून बनाने वाली कुछ बड़ी कंपनियों को अपने कार्टून भेजे।

शुरू-शुरू में उन्होंने चार्ल्स के कार्टून में थोड़ी दिलचस्पी दिखाई, पर फिर उन्होंने भी उसके कार्टून खारिज कर दिए। यानी तुम्हारी तरह वह भी हर विषय में विफल रहा। पर उसने कभी हार नहीं मानी। वह तब तक कोशिश करता रहा, जब तक एक प्रकाशक ने उसे मौका नहीं दे दिया।

उसने अपने कार्टून बनाए, जिसका नाम था चार्ल्स ब्राउन। उसके कार्टून की खासियत यह थी कि वह एक आम इंसान की तरह कोशिश करता, फिर विफल हो जाता। जो भी उसके कार्टून देखता, उनमें अपने आपको पाता। उसका नाम था चार्ल्स शूल्ज।

आगे चलकर उसकी अपनी कॉमिक सीरीज शुरू हुई, जिसका नाम था पीनट्स। ग्रेशा हम सब सफल हो सकते हैं। पर हम सबको सफल होने में समय लगता है। कुछ पहले सफल हो जाते हैं, तो कुछ को देर लगती है। दादी की कहानी खत्म होने तक ग्रेशा के चेहरे पर भी एक मुस्कान थी।

हर किसी की सफलता के मार्ग, समय और पैमाने अलग होते हैं।

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