प्रेरक प्रसंग : सच्ची सीख
स्वामी रामकृष्ण परमहंस के शरीर त्यागने के बाद उनके शिष्य स्वामी विवेकानंद तीर्थयात्रा के लिए निकले। देश के विभिन्न तीर्थों के दर्शन करते हुए वह काशी पहुंचे। विश्वनाथ मंदिर के पूरे भक्तिभाव से दर्शन करने के बाद जब स्वामी विवेकानंद बाहर आए तो देखा कि कुछ बंदर इधर से उधर दौड़ लगा रहे हैं। स्वामी जी जैसे ही आगे बढ़े तो सारे बंदर उनके पीछे-पीछे चलने लगे।
उन दिनों स्वामी जी लंबा अंगरखा पहनते थे और सिर पर साफा बांधते थे। शायद बंदरों को यह भ्रम हुआ कि स्वामी जी की जेब में कुछ खाने की सामग्री भरी हुई है। अपने पीछे बंदरों को आते देखकर स्वामी जी उनसे बचने के लिए तेज चलने लगे। बंदर भी उसी तेजी से उनका पीछा करने लगे। स्वामी जी ने इस स्थिति से उबरने के लिए दौड़ना आरंभ कर दिया, लेकिन बंदर कहां पीछे रहने वाले थे। वह भी पीछे-पीछे दौड़ने लगे। स्वामी जी बड़े असमंजस में थे। बंदर उन्हें छोड़ने को तैयार नहीं थे।