प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता को खतरे में बताया

नई दिल्ली। भारत के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने शनिवार को दावा किया कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता खतरे में है।

प्रधान न्यायाधीश गोगोई पर कथित रूप से यौन उत्पीड़न के आरोप लगने की मीडिया रिपोर्ट्स के बाद सार्वजनिक महत्व के एक मामले की तत्काल सुनवाई के दौरान कहा उन्होंने कहा, “जब तक मेरा कार्यकाल समाप्त नहीं हो जाता, मैं इस पीठ में बैठूंगा और बिना डरे और निष्पक्षता के साथ अपना कर्तव्य निभाऊंगा।”

न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा, “चीजें बहुत दूर चली गई हैं। न्यायपालिका को बलि का बकरा नहीं बनाया जा सकता।”

उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को अस्थिर करने की एक बड़ी साजिश है, जो कि अब तक स्वतंत्र बना हुआ है।

उन्होंने साथ ही कहा कि उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली और आपराधिक रिकॉर्ड वाली महिला के पीछे बहुत बड़ी ताकत है।

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सॉलिस्टिर जनरल तुषार मेहता द्वारा मामले की तत्काल सुनवाई का जिक्र करने के बाद, प्रधान न्यायाधीश गोगोई, न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने पूर्वाह्न् 10.30 बजे मामले की सुनवाई की।

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