प्रदेश सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी नहीं रुका अवैध खनन

बांदा। उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड के बांदा जिले में प्रशासन के दावे के विपरीत बालू का अवैध खनन चरम पर है। किसानों और समाजसेवियों के तमाम विरोध के बाद भी इस गोरखधंधे से जुड़े माफिया सत्तापक्ष और कुछ अधिकारियों से जुगत लगाकर अपना लक्ष्य हासिल कर रहे हैं। बालू भरे वाहनों के परिवहन से किसानों की खड़ी फसल चौपट हो रही है।

अवैध खनन लंबे समय से यहां कारोबारियों के लिए मुफीद माना जाता रहा है। सूबे में बसपा, सपा या भाजपा, कोई भी सत्ता में रहे, खनन माफियाओं की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता। वह ‘चांदी का जूता’ फेंक कर हर दल में अपनी समानांतर हुकूमत कायम करने में माहिर हैं।

पिछले डेढ़ दशक से बांदा जिले की केन, यमुना, बागै और रंज नदी में बालू खनन के अवैध कारोबार का कुछ ज्यादा ही चलन बढ़ा है। माफिया न सिर्फ भारी भरकम मशीनों से नदियों का सीना छलनी कर रहे हैं, बल्कि ओवरलोड ट्रक निकाल कर खेतों में खड़ी किसानों की फसल भी रौंद रहे हैं।

बांदा जिले की नदियों में मौजूदा समय में छोटी-बड़ी 39 बालू खदानें संचालित हैं, जिनमें से ज्यादातर पर एनजीटी, पर्यावरण और वन विभाग आपत्ति जता चुका है। हालांकि प्रशासन के अनुसार, यहां बालू का अवैध खनन नहीं हो रहा है, और खदानों में खनन शासन की मंशा के अनुरूप ही हो रहा है।

यह अलग बात है कि आए दिन पीड़ित किसान अधिकारियों की ड्योढ़ी पर बालू भरे वाहनों का खेतों से जबरन परिवहन कर फसल उजाड़े जाने का रोना रोते हैं।

गुरुवार को पैलानी क्षेत्र के सैकड़ों किसान बालू माफियाओं के खिलाफ सड़क पर उतर आए और उन्होंने बांदा-हमीरपुर सड़क मार्ग जाम कर दिया।

पैलानी तहसील के तहसीलदार राम दयाल रमन ने शुक्रवार को बताया, “किसानों के आंदोलन के बाद शुरू की गई धर-पकड़ में बालू के 90 ओवरलोड ट्रक जब्त कर उनसे 22 लाख रुपये जुर्माना वसूला गया है। साथ ही खदान मालिकों को बुलाकर अवैध खनन और ओवरलोडिंग न करने की चेतावनी दी गई है।”

एक सवाल के जवाब में तहसीलदार ने माना कि “अमलोर और सांड़ी खादर बालू खदान में काफी हद तक अवैध खनन किया जा रहा था और किसानों की खड़ी फसल से जबरन वाहनों का परिवहन किया गया है।”

जिले के एक उपजिलाधिकारी (एसडीएम) ने अपना नाम न उजागर करने की शर्त पर कहा, “सत्तापक्ष के विधायकों और वरिष्ठ अधिकारियों के गठजोड़ के कारण माफिया बालू का अवैध खनन कर रहे हैं। इस गोरखधंधे में सभी बराबर के भागीदार हैं। लेकिन गाज छोटे अधिकारी पर ही गिरती है।”

इस अधिकारी ने बताया, “जिले में संचालित 39 बालू खदानों में से कोई खदान ऐसा नहीं है, जिससे जनप्रतिनिधि और अधिकारी सुविधा शुल्क न वसूलते हो। जो हाथ ढीला करेगा, वह अवैध काम तो करेगा ही।”

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बुंदेलखंड किसान यूनियन (बी.के.यू.) के अध्यक्ष विमल कुमार शर्मा आरोप लगाते हैं, “जिले में बैठे जिम्मेदार पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की मर्जी से बालू का अवैध खनन कर किसानों की फसलें चौपट की जा रही हैं। फसल चौपट करने में आवारा जानवर और बालू माफियाओं में कोई विशेष अंतर नहीं है।”

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वह कहते हैं, “अवैध खनन और आवारा जानवरों के मसले को आगामी लोकसभा चुनाव में मुद्दा बनाकर किसानों को भाजपा के खिलाफ लामबंद करेंगे।”

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