राष्ट्रपति के रुप में प्रणब ने दिया अंतिम भाषण, इंदिरा गांधी को बताया अपना मेंटॉर

प्रणव मुखर्जीनई दिल्ली। प्रणब मुखर्जी ने देश के राष्ट्रपति के रूप में दिए गए अपने अंतिम भाषण में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को अपनी मार्गदर्शक (मेंटॉर) और ‘विशाल शख्सियत’ के रूप में याद किया। आपातकाल के बाद कांग्रेस की हार के बाद लंदन की एक रोचक घटना का जिक्र करते हुए प्रणव मुखर्जी ने कहा, “मेरे करियर को श्रीमती इंदिरा गांधी ने गढ़ा था जो एक विशाल हस्ती थीं। उनमें हालात जैसे होते थे, उन्हें उसी तरह बुलाने की हिम्मत थी।”

उन्होंने कहा, “आपातकाल के बाद कांग्रेस और खुद की हार के बाद वह 1978 में लंदन गई थीं। मीडियाकर्मियों का जमावड़ा लगा हुआ था जो अपने आक्रामक तेवरों के साथ सवाल पूछने का इंतजार कर रहा था।”

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मुखर्जी ने लंदन की घटना को याद करते हुए कहा, “पहला सवाल (इंदिरा से) पूछा गया, ‘आपातकाल से आपको क्या लाभ मिला?’ मीडियाकर्मियों की आंख में सीधे देखते हुए उन्होंने सामान्य सधी हुई आवाज में कहा, ‘उन 21 महीनों में हम समाज के हर तबके को खुद से अलग करने में कामयाब रहे’।”

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मुखर्जी ने कहा कि कुछ सेकेंड के सन्नाटे के बाद वहां हंसी का फव्वारा फूट पड़ा।

उन्होंने कहा, “इसके बाद किसी ने भी आपातकाल पर कोई सवाल नहीं पूछा।”

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