
नई दिल्ली| राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि भारत तभी विकास करेगा, जब समूचा भारत विकास करेगा। उन्होंने कहा कि पिछड़े लोगों को विकास प्रक्रिया में शामिल करना होगा, आहत और भटके लोगों को मुख्यधारा में वापस लाना होगा।
प्रणब मुखर्जी ने जताई चिंता
राष्ट्रपति ने चिंता जताई कि प्रौद्योगिक, उन्नति के इस दौर में व्यक्ति का स्थान मशीनें ले रही हैं, और इससे बचने का एकमात्र उपाय ज्ञान और कौशल अर्जित करना और नवान्वेषण सीखना है।
मुखर्जी रविवार को 70वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, “जनता की आकांक्षाओं से जुड़े समावेशी नवोन्वेषण समाज के बड़े हिस्से को लाभ पहुंचा सकते हैं और हमारी अनेकता को भी सहेज सकते हैं। एक राष्ट्र के रूप में हमें रचनात्मकता, विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना चाहिए। इसमें हमारे स्कूल और उच्च शिक्षा संस्थानों का एक विशेष दायित्व है।”
उन्होंने कहा, “हम अक्सर अपने प्राचीन अतीत की उपलब्धियों पर खुशी मनाते हैं, परंतु अपनी सफलताओं से संतुष्ट होकर बैठ जाना सही नहीं होगा। भविष्य की ओर देखना ज्यादा जरूरी है। सहयोग करने, नवोन्वेषण करने और विकास के लिए एकजुट होने का समय आ गया है। भारत ने हाल ही में उल्लेखनीय प्रगति की है, पिछले दशक के दौरान प्रतिवर्ष अधिकतर आठ प्रतिशत से ऊपर की विकास दर हासिल की है। अंतर्राष्ट्रीय अभिकरणों ने विश्व की सबसे तेजी से बढ़ रही प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में भारत को पहचाना है। दो लगातार सूखे वर्षो के बावजूद मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से कम रही और कृषि उत्पादन स्थिर रहा।”





