जानिए क्यों ‘फैशन की राजधानी’ माना जाता है पेरिस को…

पेरिस में हर वो आकर्षण है जो एक घुमक्कड़ के लिए ड्रीम डैस्टिनेशन मुहैया कराता है. यकीन नहीं आता तो एक बार पेरिस का भ्रमण कर के देखिए.

जानिए क्यों ‘फैशन की राजधानी’ माना जाता है पेरिस को...

फ्रांस के उत्तर में सीन नदी के तट पर बसा है कल्पनाओं का शहर –पेरिस. फ्रांस की राजधानी पेरिस को ‘रोशनी का शहर’ और ‘फैशन की राजधानी’ भी कहा जाता है. 105.4 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाले इस शहर की जनसंख्या 22 लाख है. पूरा पेरिस 20 भागों में बंटा है, जिन्हें अरौंडिसमैंट कहते हैं. 6,100 गलियों, 1,124 बार और 1,784 बेकरियों वाले इस शहर के बनने की कहानी बड़ी रोचक है.

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वर्ष 1852 तक यह आम शहर जैसा ही था. उसी वर्ष नेपोलियन बोनापार्ट का भतीजा लुई नेपोलियन तृतीय राजा बना और उस ने बड़े ही जोरशोर से शहर का नवीनीकरण करना शुरू किया. बैरन हौसमैन नामक इंजीनियर को उस ने यह जिम्मेदारी सौंपी.

हौसमैन ने न सिर्फ सौंदर्यीकरण का काम किया, बल्कि शहर को अभिजात्य वर्ग में ला खड़ा करने की भी पुरजोर कोशिश की. शहर में जितनी गरीब लोगों की बस्तियां थीं, उन्हें उजाड़ कर जनता को जबरदस्ती शहर के बाहरी हिस्सों में भेज दिया गया और फिर चौड़ी खूबसूरत सड़कों, बड़ेबड़े खुले ब्लौक्स और महंगे बाजारों तथा सुंदर घरों का निर्माण किया गया.

हरियाली की कमी न हो, इस का पूरा ध्यान रखा गया.

17 साल तक यह सारा काम चलता रहा और जनता हौसमैन को कोसती, गालियां देती रही.

गरीब तो गरीब, अमीरों ने भी उस का विरोध करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

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1870 तक जो पेरिस बन कर तैयार हुआ, उस ने सब की आंखें चौंधिया दीं. और कुछ ही समय में यह शहर पूरे यूरोप के गर्व का कारण बन गया. आज पूरे संसार में पेरिस की जो छवि है, उस का मुख्य श्रेय हौसमैन को ही जाता है.

दर्शनीय स्थल

घूमने के लिहाज से वैसे तो पूरे पेरिस शहर में कहीं भी चले जाइए, हर जगह खूबसूरती बिखरी मिलेगी, फिर भी कुछ जगहें ऐसी हैं जिन्हें देखे बिना पेरिसयात्रा अधूरी ही कहलाएगी.

एफिल टावर

फ्रांस की क्रांति की एक शताब्दी पूरी होने का जश्न मनाने के लिए 1889 में पेरिस में एक वर्ल्ड फेयर का आयोजन किया जा रहा था. इस के मुख्यद्वार के रूप में एक बड़ा और भव्य टावर बनाने का प्लान बनाया गया, जिसे बाद में तोड़ दिया जाना था.

जिस कंपनी ने इस का निर्माण किया, उस के मुख्य इंजीनियर एलैक्जैंडर गुस्ताव एफिल के नाम पर इस का नाम एफिल टावर रखा गया. लोहे के जालदार काम से बनी इस संरचना की ऊंचाई 1,063 फुट है, जिस में 3 लैवल हैं और 1,665 सीढि़यां हैं.

हर लैवल पर जाने के लिए अलगअलग लिफ्ट की व्यवस्था है. पहली 2 मंजिलों पर रैस्टोरैंट आदि की भी सुविधा है. हर मंजिल से पूरे शहर का विहंगम दृश्य देखने को मिलता है. जैसा कि पहले से तय था, वर्ष 1909 में इसे नष्ट करने के बारे में सोचा गया, लेकिन तब तक यह जनता और सरकार, सब के दिलों में घर कर चुका था, इसलिए इसे एक बड़े रेडियो एंटीना की तरह प्रयोग करने का निश्चय किया गया.

आज यह टावर पेरिस की पहचान और शान है.

दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जब हिटलर पेरिस में घुसा तो लोगों ने एफिल टावर की लिफ्ट के केबल काट दिए, ताकि हिटलर उन के शहर की इस शान पर चढ़ न सके. हिटलर कुछ सीढि़यां चढ़ा, लेकिन फिर हार मान कर लौट गया.

आज यहां पूरे संसार से हर साल 60-70 लाख लोग आते हैं. रात के समय जब पूरे टावर पर लगी 20 हजार लाइटें जगमगाने लगती हैं तब तो इस की शोभा देखते ही बनती है.

इस से जुड़ा एक मजेदार तथ्य है कि मैटल से बना होने के कारण इस की लंबाई सूर्य की गरमी से प्रभावित होती है और मौसम के अनुसार 15 सैंटीमीटर तक घटतीबढ़ती रहती है.

डिज्नीलैंड पार्क

वाल डिज्नी के पात्रों और फिल्मों की थीम पर बना यह विशाल और भव्य पार्क शहर के मध्य भाग से 32 किलोमीटर पूर्व में स्थित है. 4,800 एकड़ में फैला यह पार्क 1992 में शुरू हुआ. वर्ष 2002 में इसी के साथ डिज्नी स्टूडियोज का निर्माण किया गया. इन दोनों पार्कों में कुल मिला कर 57 झूले, राइड्स आदि हैं. इन के अलावा यहां रंगबिरंगी परेड, लेजर शो और तरहतरह की अन्य गतिविधियां भी होती रहती हैं. पूरे डिज्नी पार्क को

5 भागों–मेन स्ट्रीट यूएसए, फैंटेसीलैंड, एडवैंचरलैंड, फ्रंटियरलैंड और डिस्कवरीलैंड में बांटा गया है. एक भाग से दूसरे तक जाने के लिए पैदल चलने के अलावा ट्रेन से जाने की भी सुविधा है. एलिस इन वंडरलैंड, पाइरेट्स, स्नोवाइट, पीटर पैन, टौय स्टोरी आदि की थीम पर बने झूले आप को एक अलग ही दुनिया में ले जाते हैं. स्लीपिंग ब्यूटी का महल तो इतना सुंदर है कि देखने वाला मानो सचमुच स्वप्नलोक में ही विचरण करने लगता है.

7 रिजौर्ट, 6 होटल, कई रैस्टोरैंट, शौपिंग सैंटर और एक गोल्फ कोर्स वाले इस थीम पार्क में हर साल एक से डेढ़ करोड़ लोग आते हैं.

आर्क औफ ट्रायम्फ

फ्रांस की क्रांति और अन्य युद्धों में मारे गए शहीदों की याद में आर्क औफ ट्रायम्फ नामक गेट बनाया गया है. रोमन वास्तुकला पर आधारित इस गेट को 1806 में जीन कैलग्रिन ने डिजाइन किया था. कुछ युद्धों और शहीदों के नाम इस की दीवारों पर खुदे हुए हैं. नीचे एक चैंबर बना है, जिस में ‘अनजाने सैनिक का मकबरा’ है, जो पहले विश्वयुद्ध में मारे गए सैनिकों को समर्पित है.

नौत्रे डेम कैथेड्रल

यह एक रोमन कैथोलिक चर्च है, जो फ्रैंच गोथिक शैली में बना है. पूरी दुनिया के कुछ अत्यंत मशहूर चर्चों में से यह एक है. यहां जीसस क्राइस्ट के क्रौस का एक छोटा हिस्सा क्राउन औफ थौर्न तथा उन के कुछ अन्य स्मृतिचिह्न भी रखे गए हैं. नेपोलियन बोनापार्ट के राज्याभिषेक के अलावा अन्य कई बड़ी ऐतिहासिक घटनाओं का यह चर्च गवाह रहा है. यहां कुल 10 बड़ेबड़े घंटे हैं, जिन में से सब से बड़ा 13 टन से भी ज्यादा भारी है और उस का नाम इमैन्युअल है.

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लुव्र म्यूजियम

यह संसार के सब से बड़े म्यूजियमों में से एक है. शहर के पश्चिमी भाग में सीन नदी के दाहिने तट पर स्थित यह इमारत लगभग 60,600 वर्ग मीटर में फैली है. 12वीं शताब्दी में फिलिप द्वितीय ने इस का निर्माण एक किले के रूप में करवाया था. कई राजाओं ने इसे अपना निवास बनाया.

अनेक स्वरूप और नाम बदलते हुए 10 अगस्त, 1793 को पहली बार 537 पेंटिंग्स और 184 कलाकृतियों के साथ इसे म्यूजियम का रूप दिया गया. आज इस का इतना विस्तार हो चुका है कि अगर आप यहां की हरेक कलाकृति को सिर्फ 4 सैकंड देख कर ही आगे बढ़ जाएं तो आप को पूरा म्यूजियम देखने के लिए 3 महीने का समय चाहिए.

मोनालिसा, वर्जिन औफ द रौक्स तथा हम्मूरावी की आचारसंहिता जैसी अनेक विश्वप्रसिद्ध कृतियां यहां प्रदर्शित हैं, जिन्हें देखने के लिए विश्व के कोनेकोने से यहां लोग आते हैं. इस के सामने कांच का एक विशाल पिरामिड बना है जो इस की सुंदरता में चारचांद लगा देता है.

सैंट चैपल चर्च

पेरिस में स्थित सैंट चैपल चर्च एक मध्ययुगीन चर्च है, जो 13वीं शताब्दी में बना. गोथिक शैली में बना यह चर्च अपनी स्टेन ग्लास पेंटिंग के काम के लिए प्रसिद्ध है.

लैस इनवैलिड्स

कुछ म्यूजियमों और दूसरी इमारतों का एक समूह है लैस इनवैलिड्स. यह फ्रांस के सैनिक इतिहास को दर्शाता है. इसे 17वीं सदी में लुई चौदहवें ने युद्ध में घायल सैनिकों के इलाज और बूढ़े व अपाहिज सैनिकों व उन के परिवारों को आश्रय देने के लिए बनवाया था. यहां उन का खानापीना, इलाज और रहने का इंतजाम मुफ्त में किया जाता था. नेपोलियन ने भी इस परंपरा को आगे बढ़ाया. नेपोलियन तथा उस के परिवार के अनेक सदस्यों तथा फौज के कई मार्शलों की कब्रें भी यहीं पर हैं.

कौनकौर्ड स्क्वायर

फ्रांस की क्रांति जब हुई, उस वक्त वहां लुई सोलहवें का शासन था. उस की पत्नी मैरी एंटोनियट से जनता घृणा करती थी क्योंकि एक तो वह आस्ट्रिया के राजपरिवार की बेटी थी, दूसरे, अत्यंत फुजूलखर्ची, घमंडी और कुछ हद तक बेवकूफ थी. जनता के पास रोटी बनाने के लिए आटा भी नहीं था और वह करोड़ों रुपए अपनी विलासिता पर खर्च करती रहती थी.

जब उसे यह बताया गया कि उस के राज्य में लोगों के पास खाने के लिए रोटी नहीं है और वे भूखों मर रहे हैं, तो उस का जवाब था, ‘‘उन्हें मरने की क्या जरूरत है? अगर उन के पास रोटी नहीं है, तो वे केक क्यों नहीं खा लेते?’’ पहले से ही गुस्साई जनता और भड़क गई और लुई, मैरी व उस के पूरे परिवार को पकड़ कर मार दिया गया. जिस स्थान पर उन के सिर काटे गए वह कौनकौर्ड स्क्वायर के नाम से प्रसिद्ध है. पेरिस आने वाला हर पर्यटक इस स्थान को देखने के लिए जरूर आता है.

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