पूर्व गर्वनर से देश की सुस्त अर्थव्यवस्था पर जताई चिंता
भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने देश की अर्थव्यवस्था पर चिंता जताई है। इस समय दिख रही धीमी अर्थव्यवस्था पर सरकार को ऊर्जा और गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्रों की समस्याओं को सुलझाने के निर्देश दिए।
वर्ष 2013-16 के बीच गवर्नर रहे राजन ने भारत में जीडीपी की गणना के तरीके पर नये सिरे से गौर करने का भी सुझाव दिया है। इस संदर्भ में उन्होंने पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री अरविंद सुब्रमण्यम के शोध निबंध का हवाला दिया जिसमें निष्कर्ष निकाला गया है कि देश की आर्थिक वृद्धि दर को बढ़ा चढ़ाकर आंका गया है।
राजन ने सीएनबीसी टीवी18 से बातचीत में कहा, ‘निजी क्षेत्र के विश्लेषकों की ओर से आर्थिक वृद्धि को लेकर कई तरह के अनुमान लगाये जा रहे हैं, जिनमें से कई संभवतः सरकार के अनुमान से काफी नीचे हैं। मेरा मानना है कि आर्थिक सुस्ती निश्चित रूप से बहुत चिंताजनक है।’
उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2018-19 में आर्थिक वृद्धि की रफ्तार 6.8 फीसदी पर रह गई, जो 2014-15 के बाद से सबसे कम रहा। विभिन्न निजी विशेषज्ञों और केंद्रीय बैंक का अनुमान है कि इस साल जीडीपी वृद्धि सात फीसदी के सरकारी अनुमान से कम रहेगी।
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राजन ने कहा, ‘आप सभी तरफ देख सकते हैं, कि कंपनियां चिंतित हैं और जोर-शोर से कह रही हैं कि उन्हें कुछ न कुछ प्रोत्साहन दिया जाए।’
पूर्व गवर्नर ने कहा कि अर्थव्यवस्था एवं वृद्धि दर को गति देने के लिए नये तरह के सुधारों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार से कर्ज लेना सुधार नहीं है बल्कि एक ‘मौके की कार्रवाई भर है। हमें असल में यह समझने की जरूरत है कि हम किस प्रकार दो या तीन फीसदी अधिक वृद्धि हासिल कर सकते हैं।’
उन्होंने ऊर्जा एवं गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र को लेकर तत्काल कदम उठाने की वकालत की। निजी क्षेत्र को निवेश के लिए प्रोत्साहित करने को नये सुधार लागू किये जाने चाहिए।