पुलवामा आतंकी हमला: धरती की जन्नत में पहला ही दिन बन गया कौशल का काल

नई दिल्ली। पुलवामा आतंकी हमले में आगरा के जवान कौशल कुमार रावत भी शहीद हो गए। उनके परिवार की मांग है कि सरकार आंतकवाद को पूरी तरह खत्म कर दे।

कहरई गांव के कौशल कुमार रावत (48) सीआरपीएफ में नायक (एएसआई) के पद पर तैनात थे। वह 115 बटालियन में सिलिगुड़ी में नियुक्त थे। कुछ दिन पहले ही कश्मीर में 76 बटालियन में तैनाती हुई थी। इसमें ज्वाइन करने के लिए ही पहुंचे थे कि आतंकी हमला हो गया। वह तीन दिन पहले छुट्टी से लौटे थे।

कौशल कुमार की नई बटालियन में ज्वाइनिंग गुरुवार को ही होनी थी। वह इसी के लिए जा रहे थे लेकिन ज्वाइनिंग के दिन ही उनकी शहादत हो गई।

शहीद कौशल कुमार रावत के पिता गीताराम रावत और मां का रो-रोकर बुरा हाल है।

कौशल कुमार की पत्नी और बच्चे गुडग़ांव में रहते हैं। उनके तीन बच्चों में दो बेटे और एक बेटी है। बेटी अपूर्वा सबसे बड़ी है। उसकी शादी हो चुकी है। बड़ा बेटा अभिषेक रूस से एमबीबीएस कर रहा है। छोटा बेटा विकास गुडग़ांव में ही मां के साथ रहता है। शहादत की खबर आते ही परिजन पैतृक निवास कहरई के लिए रवाना हो गए।

उनके भाई कमल कुमार रावत ने कहा कि अब अंतिम वक्त है, सरकार को आतंकवाद खत्म कर देना चाहिये। अब और जवान शहीद नहीं होने चाहिये। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ये करने में सक्षम है और जवानों की शहादत का बदला लेने का समय है।

परिवार को जब कौशल रावत की शहादत की खबर मिली तो सभी शोक में डूब गये।

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उनकी बहादुरी की कहानी परिवार का सीना चौड़ा कर देती है। कौशल कुमार 1990 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। उनकी शादी 1992 में हुई। ज्यादातर समय वे श्रीनगर में तैनात रहे थे। कश्मीर में कई बार आतंकी वारदातों में उन्होंने अपनी टीम के साथ डटकर मुकाबला किया था। गांव में उनकी बहादुरी के किस्से हर किसी की जुबान पर हैं। उनकी टीम ने कई आतंकी ढेर किये थे।

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