पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान कह चुके हैं कि वे भारत के साथ शांति के लिए पूरी तरह तैयार हैं और चाहते हैं कि पाकिस्तान की जमीन का इस्तेमाल ‘दहशतगर्दी’ के लिए कतई नहीं हो। लेकिन ऐसे कई सवाल हैं जो उन पर भरोसा करने की राह में दीवार बनकर खड़े हैं। आईए उन सवालों पर एक नजर डालते हैं…
पुलवामा में आतंकी हमले की जिम्मेदारी लेने वाला पाकिस्तान स्थित संगठन जैश-ए-मोहम्मद वहां कहने को तो वर्ष 2002 से प्रतिबंधित है, लेकिन मामला राम मंदिर निर्माण का हो या दोनों देशों के बीच तनाव का, जैश वर्ष 2014 से लगातार ऑडियो क्लिप जारी कर रहा है। हाल में जब भारतीय वायुसेना के पायलट अभिनंदन वर्तमान के पाकिस्तान में होने के समय के वीडियो वायरल हो रहे थे, तब भी जैश ने एक ऑडियो क्लिप जारी किया।
कश्मीर तक पहुंचे इस क्लिप में जैश प्रमुख मसूद अजहर या उसके भाई की आवाज है। बताया जा रहा है कि मसूद ने मुजफ्फराबाद में अपने हजारों समर्थकों की रैली को फोन पर संबोधित किया। मसूद ने पाकिस्तान सरकार को उसकी भारत के प्रति कमजोर प्रतिक्रिया के लिए भी लताड़ लगाई। सवाल यह है कि आखिर वह किसके बूते इस तरह के ऑडियो जारी कर रहा है, पाकिस्तान को लताड़ लगा रहा है और भारत को धमकी दे रहा है?
रैलियों की इजाजत कौन दे रहा है जैश को
सवाल यह भी उठ रहा है कि प्रतिबंधित जैश को वहां रैलियां आयोजित करने की इजाजत कौन दे रहा है? मीडिया खबरों के अनुसार पुलवामा हमले के संकेत 5 फरवरी की रैलियों में दिए गए थे। दरअसल, प्रत्येक वर्ष इस तारीख को पाकिस्तान में ‘कश्मीर एकजुटता दिवस’ मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1990 में जमात-ए-इस्लामी पार्टी के काजी हुसैन अहमद ने की थी।
प्रतिबंध लगाया तो आतंकी समूह का नाम बदला
पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान सरकार ने हाफिज सईद के नेतृत्व वाले आतंकी समूह जमात-उद-दावा और सईद के करीबी हाफिज अब्दुल रऊफ की अध्यक्षता वाले फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन को प्रतिबंधित किया है। पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार अब ये दोनों ही नाम बदल कर काम कर रहे हैं। इनका नाम क्रमश: अल मदीना और अयसार फाउंडेशन हो गया है।
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