पाकिस्तानी अधिकारी ने बढ़ाया हाथ तो भारतीय ने दिया सहज जवाब…
द हेग। इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में कुलभूषण जाधव केस की सुनवाई से पहले भारत और पाकिस्तान के अधिकारियों का आमना-सामना हुआ. इस दौरान एक बड़ा ही रोचक वाकया घटा.
दरअसल, कुलभूषण जाधव केस की सुनवाई से पहले भारत की तरफ से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे और विदेश मंत्रालय के ज्वाइंट सेकेट्री दीपक मित्तल बैठे हुए थे. इसी बीच उनकी टेबल पर पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल मंसूर खान पहुंच गए. मंसूर ने खान ने ज्वाइंट सेकेट्री दीपक मित्तल से हाथ मिलाने को आगे बढ़ाया. लेकिन, मित्तल ने अपनी ही तरह से करारा जवाब देते हुए केवल हाथ जोड़कर अभिवादन किया.
पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल मंसूर खान ने जैसे ही ज्वाइंट सेकेट्री दीपक मित्तल की ओर हाथ मिलाने के लिए बढ़ाया तो मित्तल ने इंकार करते हुए हाथ जोड़कर अभिवादन किया. इसके साथ ही मित्तल के साथ मौजूद अधिकारियों ने भी मंसूर खान से हाथ नहीं मिलाया. केवल वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने ही मंसूर से हाथ मिलाया. दीपक मित्तल के हाथ न मिलाने को लेकर दावा किया जा रहा है कि भारत हर मौके पर पाकिस्तान को कड़ा संदेश भेजने में कोई कमी नहीं रखना चाहता है. इसके साथ ही पाकिस्तान को दुनियाभर में अलग-थलग करने के लिए कई कूटनीतिक दबाव बना रहा है.
इसके बाद कुलभूषण जाधव केस की सुनवाई में भारत की तरफ से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि यह मामला विएना संधि का उल्लंघन है. उन्होंने कहा, ”जाधव को बिना काउंसलर (वकील) की सुविधा के लगातार कस्टडी में रखा गया है.
इसको गैरकानूनी करार दिया जाना चाहिए.” इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि पाकिस्तान इसको एक प्रोपैंगेडा के हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है. पाकिस्तान को अविलंब जाधव को काउंसर की सुविधा प्रदान करनी चाहिए क्योंकि वह ऐसा करने के लिए बाध्य है.
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उन्होंने कहा कि 30 मार्च, 2016 को भारत ने जाधव को काउंसलर सुविधा दिलाने का आग्रह पाकिस्तान से किया था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. उसके बाद अलग-अलग तारीखों में 13 बार इस तरह का आग्रह भारत की तरफ से किया जा चुका है. उन्होंने कहा कि 19 जून, 2017 को भारत ने पाकिस्तान से जांच में सहयोग का आग्रह करते हुए कहा कि जाधव के किसी आतंकी गतिविधि में शामिल होने के संबंध में पाकिस्तान की तरफ से कोई विश्वसनीय सबूत उपलब्ध नहीं कराए गए.