पहली बार नहीं हुई है बीएसपी में बगावत, 1994 से जारी है टूट का सिलसिला

बहुजन समाज पार्टी एक बार फिर बड़ी टूट की कगार पर है। पार्टी के कई बड़े विधायक लगातार समाजवादी पार्टी के संपर्क में हैं। बगावत का बिगुल बजा चुके 7 विधायकों के अलावा भी कई अन्य विधायकों की बगावत जल्द ही सामने आने के कयास फिलहाल लगाए जा रहे हैं। हालांकि इस बीच जिन 5 विधायकों ने प्रस्तावक के तौर पर अपने साइन से इंकार किया था उनका दावा गलत पाया गया है। वहीं बीएसपी चीफ मायावती ने भी इस दौरान अपने कड़े तेवर दिखाना शुरु कर दिया है। इन तमाम घटनाक्रम के बीच हम आपको बता दें कि बीएसपी में सामने आ रही यह बगावत कोई नई नहीं है। इससे पहले भी कई बार इस तरह के घटनाक्रम सामने आ चुके हैं।

जब राजबहादुर ने विधायकों को तोड़कर बना ली थी नई पार्टी
आपको बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब बीएसपी में विधायकों की बगावत समाने आई हो। इससे पहले वह दृश्य भी देखा जा चुका है जब संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे राजबहादुर ने बीएसपी के ही कई विधायकों को तोड़कर नई पार्टी बना ली थी। उस दौरान 20 से भी ज्यादा विधायकों को तोड़कर नई पार्टी बनाई गयी थी। इसके बाद टांडा से मसूद अहमद का किस्सा भी लोगों को भूला नहीं है जो कि कांशीराम के जमाने से बसपा में ते। वह 1985 से लेकर 1993 तक पूर्वी यूपी के प्रभारी भी रहे थे। हालांकि मतभेदों के चलते उन्हें भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया था। उनके अलावा आर के चौधरी, शाकिर अली, राशिद अल्वी, जंग बहादुर पटेल, बरखू राम वर्मा, राम खेलावन पासी, कालीचरण सोनकर समेत कई ऐसे नेता है जिन्हें बीएसपी से बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है।

17 साल पहले का घटनाक्रम भी हो गया ताजा
सामने आए ताजा घटनाक्रम ने उस वाकये की भी यादे ताजा कर दी हैं जब तकरीबन 17 साल पहले कम विधायक होने के बावजूद मुलायम सिंह यादव ने बसपा के 13 विधायक तोड़े थे। इतना ही नहीं भाजपा के परोक्ष समर्थन से सरकार भी बना ली गयी थी। हालांकि मामला हाईकोर्ट होते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था और आखिर में बसपा के विधायकों की सदस्यता रद्द हुई थी। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

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