घाटी में होगा जवानों का ‘कैप्सूल’ एक्शन, तिल-तिल कर मरेंगे पत्थरबाज
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में बढ़ रहे पत्थरबाजों का खात्मा करने के लिए सेना के हाथ नया हथियार लग गया है। ये हथियार न ही किसी को जख्म देगा और न ही किसी को कोई नुकसान पहुंचाएगा। बस असर करेगा सीधे अपने लक्ष्य पर। इसके एक ही वार से उपद्रव फैला रहे पत्थर बाजों के गुटों को काबू करने में सेना कामयाब हो पाएगी।
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घाटी के पत्थरबाजों को निगाह में रखते हुए कन्नौज स्थित फ्रैग्नैंस एंड फ्लेवर डेवलपमेंट सेंटर (एफएफडीसी) के वैज्ञानिकों ने एक नया दुर्गंध युक्त कैप्सूल विकसित किया है।
एफएफडीसी के प्रिंसिपल डायरेक्टर शक्ति विनय शुक्ला ने कहा कि इस कैप्सूल को टीयर गन्स से फायर किए जाने के साथ धुआं उठेगा, जिसकी गंध को बर्दाश्त करना संभव नहीं होगा।
ख़बरों के मुताबिक डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) और रक्षा मंत्रालय की आवश्यक मंजूरी और स्वीकृति के बाद इसे आर्मी को सौंपा जाएगा। ट्रायल सफल होने के बाद भारतीय सेना इसका उपयोग कर सकती है। ग्लावियर की डिफेंस लैब्रोरेट्री में जल्द ही इसका ट्रायल किया जाएगा।
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हालांकि माइक्रो मीडियम और स्मॉल इंडस्ट्रीज राज्य मंत्री गिरिराज सिंह को इस बारे में पहले ही बता दिया गया है। ये गिरिराज सिंह की ही पहल है कि रक्षा मंत्रालय ने इसके ट्रायल को मंजूरी दी है।
दिलचस्प ये है कि इस कैप्सूल की गंध ही असहनीय है और व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका कोई असर नहीं होता है।
बता दें कि मौजूदा समय में पत्थरबाजों को रोकने के लिए सुरक्षा बल पैलेट गन का उपयोग कर रहे हैं। इसके चलते सैकड़ों लोगों की आंखों को नुकसान पहुंचा है और इसका उपयोग विवाद का विषय रहा है।
वहीं पुलिस का कहना है कि यह घातक हथियार नहीं है, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि पैलेट गन से घायल लोग हमेशा के लिए अपंग हो जाते हैं।
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