इस दीवाली… जरा संभल कर, कहीं आपके ‘जानी दुश्मन’ न बन जाएं पटाखे

पटाखों की गूंजदीपावली खुशियों का त्योहार है. बाजार में पटाखों और फुलझड़ियों की दुकानें सज चुकी हैं. घर और मोहल्ला रोशनी की चकाचौंध में नहाया हुआ है. दिवाली में लोग घर की सजावट के साथ पटाखों की खूब बढ़-चढ़ कर खरीदारी करते हैं. चारों तरफ बस रोशनी और पटाखों की गूंज सुनाई देती है.

क्या आपको पता है दिवाली में जलाए जाने वाले ये पटाखे पर्यावरण के साथ-साथ हमारे स्वास्थ्य को भी हानि पहुंचाते हैं. पर्यावरण और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए दिल्ली-एनसीआर में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में पटाखों पर रोक तक लगा दी है.

पटाखों से बना लें दूरी

हर साल दीपावली पर पटाखों के जलाए जाने से कितने लोग सांस और दमा जैसे बीमारी की समस्याओं से जूझ रहे हैं.

इन पटाखों में सल्फर, मर्क्युरी और लीड भारी मात्रा में पाया जाता है. जो हमारे सीने की कोशिकाओं को काफी नुकसान पहुंचाते हैं.

पटाखों के जलने पर ये सभी पर्यावरण में इकट्ठा हो जाते हैं और जब आप इस हवा में सांस लेते हैं, तो हम इससे प्रभावित होने लगते हैं.

जिन लोगों की पहले से ही थोड़ी नाजुक तबियत रहती है उनको ऐसे प्रदूषित वातावरण में और दम घुटने लगता है.

ऐसे में ज्यादातर लोगों की तो अस्पताल तक जाने की नौबत आ जाती हैं, जहां उन्हें नेब्यूलाइजर पर रखना पड़ जाता है.

इस धुएं में जो भी लोग सांस लेने को मजबूर रहते हैं उनका शरीर और भी कई तरह की इंफेक्शन की मार को झेलता है.

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