न्‍यायाधीस ने सुनाया फैसला, अमिताभ बच्‍चन के दिमाग में कुछ नहीं

अमिताभ बच्चनअमिताभ बच्चन के दिमाग में कुछ भी नहीं है। ये राय है सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस मार्कंडेय काटजू की है। उन्होंने फ़ेसबुक पर लिखा है, अमिताभ बच्चन के दिमाग में कुछ भी नहीं है, लेकिन कई मीडियाकर्मी जब उनकी प्रशंसा करते हैं। मुझे संदेह है कि उनके दिमाग में शायद ही कुछ है।

जानिए पूरा माजरा

इस पोस्ट के बाद जस्टिस काटजू ने एक डिटेल पोस्ट भी किया है जिसमें उन्होंने बताया कि क्यों उन्होंने कहा कि “अमिताभ के दिमाग में कुछ नहीं है।” उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा है, “कार्ल मार्क्स ने कहा था कि जन समुदाय के लिए धर्म अफीम की तरह है, जिसका इस्तेमाल शासक ड्रग्स की तरह करते हैं ताकि लोगों को शांत रखा जाए और वे विद्रोह नहीं कर पाएं।

भारतीय लोगों के लिए कई तरह के ड्रग्स की जरूरत है। एक उनके लिए काफ़ी नहीं है। धर्म केवल एक ड्रग्स है। अन्य ड्रग्स में फ़िल्म, मीडिया, क्रिकेट, ज्योतिष विज्ञान, बाबा इत्यादि हैं। उन्होंने आगे लिखा है, “हमारे शासक भी भारतीय लोगों को शांत रखने के लिए इनका इस्तेमाल करते हैं।

रोमन शासक कहते थे, अगर आप लोगों को रोटी नहीं दे सकते थे तो उन्हें सर्कस दे दीजिए। हमारी फ़िल्म सर्कस की तरह हैं। हमारे शासक लोगों को रोजगार, स्वास्थ्य सुविधा, भोजन, अच्छी शिक्षा नहीं दे सकते तो उनको फ़िल्म मुहैया कराते हैं।”

काटजू ने लिखा है, “अमिताभ बच्चन की फ़िल्में भी देव आनंद, शम्मी कपूर और राजेश खन्ना की फ़िल्मों की तरह ही ड्रग्स हैं। ये फ़िल्में लोगों को भरोसे वाले दुनिया में ले जाते हैं। ये फ़िल्में हमारी शासकों के लिए भी उपयोगी हैं, क्योंकि लोग इससे शांत रहते हैं।”

काटजू ने अमिताभ बच्चन के बारे में लिखा है, “एक अच्छे अभिनेता होने के अलावा, अमिताभ में क्या है? क्या उन्होंने देश की विशाल समस्याओं के हल के लिए कोई वैज्ञानिक सुझाव दिया है? कोई नहीं। समय समय पर वे मीडिया चैनल पर आकर ज्ञान और प्रवचन देते हैं। कई बार उन्हें अच्छा काम करते हुए दिखाया जाता है, लेकिन जब ढेरों रूपये हों तो ऐसा कौन नहीं कर सकता?”

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