
करोड़ों रूपये का घोटाला करने वाला नीरव मोदी ने अब प्रवर्तन निदेशालय (ED ) की याचिका का जमकर विरोध किया हैं। नीरव मोदी का कहना हैं की वो भगोड़ा नहीं हैं. बतादें की नीरव मोदी के वकील ने ने भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून का सहरा लेकर अदालत से अनुरोध किया हैं की इस याचिका को पूरी तरह से खारिच किया जाए.
देखा जाये तो जुलाई 2018 में प्रवर्तन निदेशालय ने नए बने कानून भगोड़ा आर्थिक अपराधी (FEO) एक्ट के तहत कोर्ट में याचिका दायर कर नीरव मोदी को भगोड़ा घोषित करने की मांग की थी. स्पेशल जज वी.सी. बार्डे के सामने पेश आवेदन में नीरव मोदी के वकीलों ने दावा किया कि ईडी ने प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के साक्ष्यों और बयानों के आधार पर यह आवेदन किया है.
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वकीलों ने कहा कि नए एफईओ एक्ट के मुताबिक नीरव मोदी को इससे राहत मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि एफईओ एक्ट के तहत उक्त साक्ष्य और बयान मान्य नहीं हो सकते. इसी तरह नीरव मोदी के वकीलों ने एक अलग याचिका में दावा किया कि ईडी उनकी जो प्रॉपर्टी जब्त कर रहा है, वह भी नए एफईओ एक्ट के अनुरूप नहीं हैं. पीएनबी घोटाले के एक और फरार आरोपी नीरव मोदी के मामा मेहुल चोकसी ने भी इसी तरह के राहत की मांग करने वाले आवेदन किए हैं. यानी नए भगोड़ा कानून का सहारा लेकर मामा-भांजा बचना चाह रहे हैं.
पंजाब नेशनल बैंक में फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoU) के जरिये करीब 14,000 करोड़ रुपये के कर्ज देने का घोटाला जनवरी 2018 में सामने आया था. केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने पीएनबी घोटाले में 2018 के फरवरी में मेहुल चोकसी और नीरव मोदी के खिलाफ केस दर्ज किया था.
जनवरी 2018 के अंत में घोटाले का खुलासा होने से पहले ही दोनों देश से फरार हो गए थे. नीरव मोदी 1 जनवरी को ही देश से निकल चुका था. इसी दिन नीरव के भाई निशाल मोदी ने भी देश छोड़ा. इसके बाद नीरव की पत्नी ने 6 जनवरी को देश छोड़ा. वहीं, मेहुल चौकसी 4 जनवरी को देश से निकल गया था.
दरअसल लंदन की अदालत से भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी को जमानत नहीं मिली है और वह वहां की जेल में है. रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस ने नीरव मोदी को जमानत (Bail) देने से इनकार किया है. हीरा कारोबारी का प्रयास है कि पंजाब नेशनल बैंक के साथ धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उसे भारत को न सौंपा जाए.