निजता का अधिकार मौलिक अधिकार, मगर सशर्त : केंद्र

निजता का अधिकारनई दिल्ली| केंद्र सरकार ने बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है, लेकिन यह सशर्त है और इसके सभी पहलू इसके दायरे में नहीं आएंगे।

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महान्यायवादी के.के. वेणुगोपाल ने प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे.एस. केहर के नेतृत्व वाली नौ न्यायाधीशों की पीठ से कहा, “निजता मौलिक अधिकार है, लेकिन यह निर्बाध नहीं है, यह सशर्त है, क्योंकि निजता के अधिकार में विभिन्न पहलू शामिल होते हैं और इसके प्रत्येक पहलू को मौलिक अधिकार नहीं कहा जा सकता है।”

वेणुगोपाल ने यह बात इस मुद्दे पर बुधवार को नौ न्यायाधीशों की पीठ द्वारा शुरू की गई सुनवाई के दौरान कही।

बता दें सुप्रीम कोर्ट ने भी बुधवार को कहा कि निजता का अधिकार संपूर्ण अधिकार नहीं है और इस पर राज्य कुछ हद तक तर्कपूर्ण रोक लगा सकते हैं।

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निजता का अधिकार संविधान के तहत मौलिक अधिकार है कि नहीं, इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ सुनवाई कर रही है।

कोर्ट की 9 सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने जानना चाहा कि निजता के अधिकार की रूपरेखा क्या हो? वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने दलील दी कि स्वतंत्रता के अधिकार में ही निजता का अधिकार निहित है. निजता का अधिकार पहले से मौजूद है और ये संविधान के दिल और आत्मा की तरह है।

इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि स्वतंत्रता के सभी अधिकारों में निजता को समाहित नहीं किया जा सकता। मसलन कोई बेडरूम में क्या करता है, ये स्वतंत्रता के अधिकार के तहत निजता हो सकती है, लेकिन बच्चे को स्कूल भेजना या न भेजना स्वतंत्रता के अधिकार के तहत निजता नहीं है।

देखें वीडियो :-

https://youtu.be/OEjbvgpODvY

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