नालंदा विश्वविद्यालय 21 वीं सदी का ‘आईकन’ बनेगा : कुलपति

नालंदा विश्वविद्यालयनई दिल्ली| नालंदा विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुनैना सिंह ने शुक्रवार को कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय भारत एवं एशिया के दूसरे देशों के बीच बौद्धिक सेतु के रूप में काम करेगा तथा यह 21 वीं सदी का आईकॉन बनेगा। नालंदा विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुनैना सिंह ने शुक्रवार को नालंदा के राजगीर स्थित इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा, “21वीं सदी एशियाई सदी है। इसमें नालंदा को एक आईकन बनाना है। नालंदा को एशिया के पुनर्जागरण के प्रतीक के रूप में स्थापित करना है।”

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उन्होंने कहा, “काम से ही पहचान होती है। चुनौती को स्वीकार कर नालंदा विश्वविद्यालय को आगे बढ़ाना है। नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन काल से ही ज्ञान का केंद्र रहा था, जिसमें एशियाई देशों के लोग आकर अध्ययन करते थे। नालंदा विश्वविद्यालय की संस्कृति के साथ एशिया और पश्चिम के देशों और पूरे विश्व को जोड़ना है।”

कुलपति ने कहा कि यहां से पढ़कर छात्र अपने देश में जाकर भारत के ‘एंबेसडर’ की तरह काम करेंगे। आने वाले दिनों में विश्वविद्यालय से अधिक से अधिक देशों को जोड़ना है। मौजूदा समय में 17 देशों का साथ मिल रहा है।

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नालंदा विश्वविद्यालय की कुलपति के तौर पर 15 मई को कार्यभार संभालने वाली सिंह ने कहा, “नालंदा विश्वविद्यालय में बुद्धिज्म के साथ वेदांतिक रिलिजन और सांस्कृतिक रिलिजन को भी शामिल करना है। मौजूदा समय में यहां तीन स्कूल चल रहे हैं। तीनों स्कूल में भी विभाग खोले जाएंगे, जिसमें वैदिक धर्म को भी शामिल किया जाएगा। साथ ही साथ ‘इंडियन नॉलेज सिस्टम’ को विकसित किया जाएगा।”

उन्होंने भविष्य की योजनाओं के विषय में चर्चा करते हुए बताया कि बेहतर पुस्तकालय का निर्माण, स्कूलों में विभाग (डिपार्टमेंट) का निर्माण, चुस्त प्रशासनिक व्यवस्था, निर्माण काम में तेजी, इंडियन नॉलेज सिस्टम के विकास पर काम करना है।

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