मस्जिद में ‘गंध’ फैलाने के लिए युवक को मिली सजा-ए-मौत!  

नमाज के दौरान पादइस्‍लामाबाद। आपने दुनियाभर की अदालतों के कई अच्छे और बुरे फैसलों के बारे में सुना होगा। लेकिन जो फैसला पाकिस्तान की कोर्ट ने सुनाया उसे सुन आपके होश उड़ जाएंगे। पाकिस्तानी अदालत ने एक शख्स को सिर्फ इसलिए सजा-ए-मौत दे दी, क्योंकि मस्जिद में नमाज के दौरान उसकी पाद निकल गई थी। इस शख्स का नाम मुहम्‍मद अल वहाबी है।

मुहम्‍मद अभी सिर्फ 33 वर्ष के ही थे और गैस्ट्रो जैसी गंभीर बीमारी के शिकार थे, जिसकी वजह से उनसे ये नाफ़रमानी हो गई। सोशल मीडिया पर इस मामले को लेकर काफी चर्चा बनी हुई है।

पाकिस्तानी अख़बार इस्‍लामाबाद हेराल्‍ड के मुताबिक मुहम्‍मद को रमजान के पाक महीने में छह अलग-अलग मस्जिदों से 17 बार निकाला गया था।

एक बार तो मुहम्‍मद की वजह से 54 लोगों को एक ही समय पर इबादत के दौरान मस्जिद से बाहर जाना पड़ा था।

इसके बाद कई लोगों ने मुहम्‍मद की शिकायत की जिसको सुनते हुए पाकिस्तानी कोर्ट उन पर ईशनिंदा यानी खुदा का अपमान करने का मुकदमा चलाया।

सुनवाई के दौरान जज ने कहा कि रमजान मुसलमानों के लिए बहुत ही धार्मिक त्‍योहार है। इस पवित्र माह के दौरान वहाबी ने ऐसा करके लोगों के भरोसे को गंदा करने का काम किया है। इसके लिए उसे अल्‍लाह की मर्जी से सजा मिलनी चाहिए।

मुहम्‍मद का मुकदमा लड़ने के लिए कोई वकील नहीं तैयार हुआ था। इस वजह से उसके पास दो ही विकल्प थे पहला- उसका सिर कलम किया जाता और दूसरा- पत्‍थरों की चोट से तड़प कर मरना।

मुहम्‍मद ने अपने खिलाफ आए फैसले का कोई विरोध नहीं किया।

उसका कहना था कि जो भी फैसला आया वह सही है और उसे उम्‍मीद है कि अल्‍लाह उसके साथ इंसाफ करेंगे। वहाबी ने माना कि उसने कई बार आवाज और बदबू को रोकने की कोशिशें की थीं।

हालांकि जज ने इस बात को असम्‍मानजनक करार दिया। जज का कहना था कि वे बतौर जज दूसरे मुसलमानों के लिए एक उदाहरण पेश करना चाहते हैं।

गौरतलब है कि इन शब्दों के साथ वहाबी की मौत का फरमान सुनाकर ‘अल्लाह की मर्जी’ का नाम दे दिया गया।

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