अब अगर भवन निर्माण की सूचना नगर पालिका को नहीं दो पड़ेगा भारी… चुकानी होगी यह कीमत

प्रदेश की 84 नगर पालिका और नगर पंचायत क्षेत्रों में नए भवन के निर्माण या फिर पुराने भवन के विस्तार की सूचना अनिवार्य रूप से बोर्ड को देने की व्यवस्था जल्द ही लागू हो सकती है।
नगर पालिका

इसके लिए 15 दिन का समय दिया जाएगा। ऐसा न करने पर भारी भरकम जुर्माना लगाया जाएगा। यह जुर्माना राशि दोगुना संपत्ति कर या फिर 500 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से लगाया जा सकता है।

शहरी विकास विभाग के ड्राफ्ट में यह प्रस्ताव शामिल किया गया है। यह ड्राफ्ट नगर पालिका/पंचायतों में संपत्ति कर और स्व कर प्रणाली निर्धारण के संबंध में तैयार किया गया है। दरअसल, सरकार ने नगर निगम की तरह ही नगर पालिका/पंचायतों में भी स्व कर प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया है।

इसके लिए 1916 के नगर पालिका/नगर पंचायत एक्ट में संशोधन की तैयारी की जा रही है। शहरी विकास निदेशालय के स्तर पर तैयार किया गया ड्राफ्ट अब शासन में पहुंच गया है। जल्द ही इसे कैबिनेट में लाया जाएगा।

नगर निगम में 2016 से स्व कर प्रणाली लागू

राज्य बनने के बाद उत्तराखंड ने नगर निगम और नगर पालिका/पंचायतों के लिए बने उसी एक्ट को स्वीकार किया गया है, जो यूपी के जमाने से चला आ रहा है। नगर निगम एक्ट 1959 का है, जबकि नगर पालिका/पंचायतों का एक्ट 1916 का बना है।

इनमें संपत्ति कर के लिए पांच वर्ष में एक बार निकाय बोर्ड के स्तर पर संपत्ति कर निर्धारित करने की बात शामिल है। वर्ष 2016 में उत्तराखंड सरकार ने नगर निगम एक्ट 1959 में संशोधन कर संपत्ति कर के लिए स्व कर निर्धारण प्रणाली को भी शामिल कर लिया है। शहरी विकास सचिव शैलेश बगोली के अनुसार, पालिका/पंचायतें चूंकि अलग एक्ट से संचालित होती हैं, इसलिए इनके लिए नए सिरे से सारी कवायद की जा रही है।

नई व्यवस्था लागू होती है, तो सबका फायदा

नगर पालिका/पंचायतों में संपत्ति कर की नई व्यवस्था लागू होती है तो यह सबके लिए फायदेमंद होगी। लोगों के नजरिये से देखें तो अभी तक कर निर्धारण पूरी तरह से निकाय बोर्ड के हाथ में है। स्व कर प्रणाली में भवन स्वामी खुद ही अपने कर का आकलन करके निकाय को बताएगा। निकाय के स्तर पर भी जांच होगी और हर बिंदु पर सहमति बनाते हुए कर निर्धारित होगा।

इसके अलावा, आज की तारीख में नगर पालिका/पंचायतों में संपत्ति कर में एकरूपता नहीं है। संबंधित निकाय अपने हिसाब से तय करता है कि कितना कर लिया जाना है। संशोधन के बाद एकरूपता का रास्ता भी खुलेगा। निकायों के लिहाज से देखें तो यह व्यवस्था उनके राजस्व को कई गुना बढ़ाने वाली साबित होगी।

नगर निगमों की तरह ही पालिका/पंचायतों में भी स्व कर निर्धारण के लिए ड्राफ्ट तैयार हो गया है। कई तरह के संशोधन होने हैं। जल्द ही इसे कैबिनेट में रखा जाएगा।

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