
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट राजस्थान हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा जिसमें धर्म परिवर्तन को लेकर कठोर दिशानिर्देश जारी किए गए थे। वहीं हाईकोर्ट का एक दिशानिर्देश यह भी था कि जिला अथॉरिटी को यह पता लगाना चाहिए कि धर्म परिवर्तन शादी के मकसद से किया जा रहा है या धर्म में आस्था रखने के कारण हैं।
बता दें की जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस आर सुभाष रेड्डी की पीठ याचिका पर सुनवाई करेगी। याचिकाकर्ता ने अपना नाम गुप्त रखा है। राजस्थान हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि अगर कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन करना चाहता है तो उसे डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को इसकी जानकारी देनी होगी।
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लेकिन डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को इस संबंध में एक हफ्ते के लिए सार्वजनिक सूचना जारी करनी होगी। जहां एक हफ्ते के बाद ही कोई शादी के लिए धर्म परिवर्तन कर सकता है। हाईकोर्ट ने ये दिशानिर्देश शादी के लिए जबरन धर्म परिवर्तन पर नियंत्रण करने के मकसद से जारी किए थे। हाईकोर्ट ने यह आदेश 15 दिसंबर, 2017 को दिया था।
दरअसल याचिका दायर करने वाले शख्स का कहना है कि हाईकोर्ट का यह आदेश संविधान के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों का सीधे तौर पर उल्लंघन है। उसका कहना है कि हाईकोर्ट का आदेश नौ सदस्यीय संविधान पीठ द्वारा दिए गए निजता के अधिकार के फैसले के विपरीत है।
वहीं वकील जोसेफ एरिस्टोटल के माध्यम से दायर इस याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने एक अथॉरिटी को धर्म परिवर्तन करने वाले शख्स की मानसिक स्थिति का पता लगाने की जिम्मेदारी दी है, जो गैरकानूनी और अनुचित है।