दो नदियों का पावन संगम बना जानलेवा, ले चुका है कई श्रद्धालुओं की जान…

 
रिपोर्ट: कुलदीप राणा आजाद

 

रूद्रप्रयाग: अलकनंदा और मंदाकिनी नदी का पावन संगम दिनोंदिन जानलेवा बनता जा रहा है। संगम स्थल पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम न होने से कैसे यहां लोगों को असमय ही जिंदगी गवानी पड़ रही है देखिए इस खास रिपोर्ट में-

नदी
01- 16-17 जून 2013 की बाढ़ में रूद्रप्रयाग में अलकनंदा और मंदाकिनी नदी के संगम स्थल पर सुरक्षा रेंलिगें बाढ़ की भेंट चढ़ गई थी। लेकिन बीते सात वर्षों में संगम स्थल की सुध न तो नगर पालिका ने ली है और न ही जिला प्रशासन ने। यही कारण है कि अलकनंदा मंदाकिनी का यह संगम दिव्य दर्शन देने की बजाय जानलेवा बना हुआ है। यहाँ पर आए दिन गंगाजल भरते समय श्रद्धालुओं के पैर फिसलने से वे असमय ही काल के गाल में समा जाते हैं।

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रूद्रप्रयाग में नदियों के किनारे नमामी गंगे के तहत भले ही केन्द्र सरकार ने नमामी गंगे परियोजना के तहत लाखों-करोड़ों रूपयों के घाट और शौचालय पर खर्च किये हों, लेकिन ये घाट जनता के कितने काम आ रहे हैं इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ये घाट बरसात में पानी में डूबे रहते हैं और इन दिनों रेत मलबे में दफन हो रखे हैं।

 

लेकिन दुर्भाग्य देखिए रूद्रप्रयाग में संगम जैसे स्थानों पर स्थानीय श्रद्धालुओं से लेकर देश-विदेश के श्रद्धालुओं की वर्ष भर आवोभगत रहती है वहाँ सुरक्षा के नाम पर रेंलिग तो रही दूर एक लोहे की जंजीर तक नहीं लगाई गई हैं। स्थिति यह है कि पिछले सप्ताह दो लोगों की जान यहां पर पैर फिसलने से गई जबकि इससे पूर्व भी कई घटनाएं यहां घट चुकी हैं।

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