देश के इन मंदिरों में नहीं होती किसी भगवान की पूजा, जानें से पहले सौ बार सोच लें, प्रसाद में चढ़ता है खून…
आमतौर पर लोग मंदिर का नाम सुनते ही समझ जाते हैं कि वहां कोई न कोई भगवान ही विराजमान होंगे और उनकी ही पूजा होती होगी, लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसे मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां किसी भी भगवान या देवी-देवता की पूजा नहीं होती बल्कि यहां कौरव और पांडवों की पूजा होती है।
इनमें एक मंदिर को ऐसा भी है, जहां लोग प्रसाद के रूप में अपना खून चढ़ाते हैं।
बंगलुरु में एक मंदिर है, जिसे द्रौपदी मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर करीब 800 साल पुराना है। इस मंदिर को धर्मराय स्वामी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
उत्तराखंड के उत्तरकाशी के सारनौल में स्थित एक मंदिर है, जिसे दानवीर कर्ण का मंदिर कहा जाता है। यह मंदिर लकड़ियों से बना हुआ है, जिसमें पांडवों के 6 छोटे-छोटे मंदिर भी बने हुए हैं।
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केरल के कोल्लम जिले के मायम्कोट्टू मलंचारुवु में दुर्योधन के मामा शकुनि का मंदिर है। यह मंदिर पवितत्रेश्वरम नाम से प्रसिद्ध है। शकुनि मंदिर के पास ही दुर्योधन का भी मंदिर बना हुआ है।
लाहाबाद के दारागंज में भीष्म पितामह का मंदिर है। इस मंदिर में तीरों की शैया पर लेटे हुए भीष्म की 12 फीट लंबी मूर्ति है।