छोटी-छोटी बात पर देशद्रोह या मानहानि का आरोप थोपना गलत

देशद्रोहनई दिल्लीसर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि देशद्रोह का मामला सिर्फ उन्हीं के खिलाफ लगाया जा सकता है, जो राज्य के खिलाफ हिंसा और अव्यवस्था भड़काने जैसी गतिविधियों में शामिल रहे हों। सरकार की आलोचना करने पर देशद्रोह या मानहानि का आरोप नहीं लगाया जा सकता। इसके साथ ही न्यायालय ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें संबंधित राज्य पुलिस प्रमुख को यह निर्देश देने की मांग की गई थी कि देशद्रोह का कोई मामला दर्ज होने से पूर्व उसकी वजह से संबंधित आदेश पारित किया जाए। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की पीठ ने देशद्रोह कानून का दुरुपयोग रोकने के लिए प्रशासन को कोई ताजा निर्देश जारी करने से इंकार कर दिया और कहा, “हमारी राय है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए से निपटते समय अधिकारी केदार नाथ मामले में संविधान पीठ द्वारा दी गई व्यवस्था के अनुसार काम करेंगे।”

सर्वोच्च न्यायालय ने 1962 के केदार नाथ मामले में यह व्यवस्था देकर धारा 124ए के दायरे को सीमित कर दिया था कि अधिकारी कोई देशद्रोह का मामला दर्ज करने से पहले इसका पालन करेंगे, यह कि इस कानून का इस्तेमाल तभी किया जाएगा, जब सार्वजनिक अव्यवस्था या सार्वजनिक शांति में खलल डालने का इरादा हो, या हिंसा भड़काने जैसी गतिविधियों पर अंकुश लगाना हो।

पीठ ने केदार नाथ सिंह मामले में निर्धारित सिद्धांतों को दोहराते हुए कहा, “ऐसा कहने के अतिरिक्त हम किसी अन्य मुद्दे पर विचार नहीं करना चाहते, क्योंकि हमारी समझ से ऐसा करना आवश्यक नहीं है।”

न्यायालय ने गैर सरकारी संगठन, कॉमन काज द्वारा दाखिल जनहित याचिका का निपटारा करते हुए यह बात कही। याचिका में यह निर्देश देने की मांग की गई थी कि किसी भी व्यक्ति के खिलाफ देशद्रोह के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करने या उसे गिरफ्तार करने से पहले संबंधित अधिकारी डीजीपी या पुलिस आयुक्त की तरफ से वजह से संबंधित एक आदेश अनिवार्य रूप में प्रस्तुत करे, जिससे यह सत्यापित हो कि इसमें हिंसा भड़काने जैसी देशद्रोहात्मक गतिविधियां या सार्वजनिक अव्यवस्था का इरादा शामिल था।

कॉमन काज की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण और परमाणु विरोधी कार्यकर्ता एस.पी. उदयकुमार ने पीठ से कहा कि देशद्रोह संबंधित कानून का प्रशासन सरासर दुरुपयोग, और उल्लंघन कर रहा है। इस पर न्यायालय ने प्रशासन से कहा कि वह केदार नाथ मामले में दी गई व्यवस्था का अनुसरण करे।

जनहित याचिका में बिनायक सेन, खुद उदयकुमार, तमिल लोकगायक एस. कोवन, जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एस.ए.आर. गिलानी और हाल ही में कश्मीर पर एक बहस आयोजित करने के लिए एमनेस्टी इंडिया के खिलाफ देशद्रोह के आरोप लगाने जैसे मामलों का जिक्र किया गया था।

LIVE TV