दूसरी तिमाही में 5 से घटकर 4.5 पर पहुंची जीडीपी, मनमोहन सिंह ने जताई गहरी चिंता

दूसरी तिमाही के बाद देश की विकास दर की हालत और ज्यादा खस्ता हो गयी है. रिपोर्ट की मानें तो  जुलाई-सितंबर तिमाही में आर्थिक विकास दर 4.5 फीसदी पर पहुँच गयी. जो बेहद चिंताजनक है. जबकि एक साल पहले आर्थिक विकास दर 7 फीसदी थी. रिपोर्ट्स के अनुसार उद्योगों का उत्पादन गिरने की वजह से ये स्थिति आई है. इस मंदी को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गहरी चिंता जताई है. उन्होंने अपने बयान में कहा-“हमारी अर्थव्यवस्था की स्थिति बेहद चिंताजनक है, लेकिन मैं तर्क देना चाहूंगा कि कैसे हमारे समाज की स्थिति अभी भी और चिंताजनक है.”

आज कोई भी ऐसा नहीं है जो भारत की अर्थव्यवस्था में तेज मंदी और इसके विनाशकारी परिणामों से इनकार कर सकता है. विशेष रूप से हमारे किसानों, युवाओं और गरीबों के लिए. आज पहले जारी किए गए जीडीपी के आंकड़े चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में हमारी अर्थव्यवस्था की विकास दर को इंगित करते हैं, जो 4.5% के बराबर है. जो बिल्कुल स्वीकार नहीं है. भारत की आकांक्षा 8-9% पर एनम की है.

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उन्होंने कहा कि हमें अपनी अर्थव्यवस्था में मौजूदा भय को अपनी अर्थव्यवस्था में 8% प्रति वर्ष से अधिक बढ़ने के लिए आत्मविश्वास से एक में बदलने की आवश्यकता है. अर्थव्यवस्था की स्थिति अपने समाज की स्थिति का प्रतिबिंब है. विश्वास और विश्वास का हमारा सामाजिक ताना-बाना अब फट गया है और टूट गया है.

दूसरी तिमाही में 5 से घटकर 4.5 पर पहुंची विकास दर-

देश की विकास दर में बड़ी गिरावट आई है दूसरी तिमाही में विकास दर में गिरावट विकास दर 5.0 से घटकर 4.5 प्रतिशत पहुंची. वहीं पहली तिमाही में विकास दर 5.0 प्रतिशत थी. अप्रैल-अक्टूबर 2019 में वित्तीय घाटा 6.48 लाख करोड़ था यह बढ़कर अब 7.20 लाख करोड़ हो गया है. अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर केंद्र की मोदी सरकार के तमाम दावे और तरकीबें नाकाम साबित हुई हैं. देश के आठ प्रमुख उद्योगों का विकास दर में गिरावट आई है पिछले साल यानि कि अक्टूबर 2018 के मुकाबले अक्टूबर 2019 में ग्रोथ रेट गिरकर 5.8 आ गया है. वहीं सितंबर में यह आंकड़ा 5.2 फीसदी था.

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