दिल्ली दंगा: फायरिंग के दो आरोपियों को सबुत न मिलने के कारण मिली रिहाई

मोहम्मद हारिस सिद्दीकी:-
पिछले साल हुए दिल्ली दंगो में एक व्यक्ति को गोली मारने के आरोप में बाबू और इमरान को गिरफ्तार कर लिया गया था जिन्हें आज दिल्ली की अदालत से रिहाई मिल गयी। फैसला सुनाते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने रूसी लेखक फ्योडोर दोस्तोवस्की की प्रसिद्ध पंक्तियां “क्राइम एंड पनिशमेंट” का हवाला दिया। उन्होंने कहा, ‘सौ खरगोशों से आप एक घोड़ा नहीं बना सकते, सौ संदेह एक प्रमाण नहीं बन सकता है।’

दोनों पर 25 फरवरी को मौजपुर में हुए दंगों में हिस्सा लेने का आरोप था। दंगो में शामिल होने के साथ एक एफईआर में उन पर गोली चलाने का भी आरोप था। लेकिन अदालत ने उन्हें हत्या के प्रयास और शस्त्र अधिनियम के आरोपों से मुक्त कर दिया। अदालत में यह पाया गया कि कथित पीड़ित ने गलत पता और मोबाइल नंबर पुलिस के पास दर्ज कराया था और इसके अलावा उसने किसी भी पुलिस अधिकारी को कभी कोई बयान या सुचना नहीं दी।

कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘ इस मामले में पुलिस के पास सबूत के रूप में कॉन्स्टेबल पुष्कर हैं, लेकिन उसने भी गोली चलाने या गोली लगने वाले को नहीं देखा है। अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि दोनों दंगाई भीड़ का हिस्सा थे और संदेह है कि दोनों फायरिंग के लिए ज़िम्मेदार भी। चार्जशीट में हत्या के प्रयास या आर्म्स एक्ट के कोई सबूत नहीं दिए गए हैं.’दोनों को हत्या का प्रयास और शस्त्र अधिनियम के तहत अवैध हथियार रखने के आरोपों से बरी तो कर दिया, लेकिन दंगों के लिए दोनों आरोपियों पर मुकदमा चलाया जायेगा.

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