दहशत का दूसरा नाम बन गई थी ‘शर्मीली’, डेढ़ साल बाद आई पकड़ में , खर्च करवाए 50 लाख रुपये

यूपी के बरेली जिले में पिछले 15 महीने से एक बाघिन ने बंद पड़ी एक रबड़ फैक्ट्री में अपना ठिकाना बनाया हुआ था। जिसे आखिरकार वन्य विभाग की टीम ने पकड़ लिया है। हैरानी की बात तो ये है कि इसे पकड़ने में 50 लाख रुपये से ज्यादा का खर्च किया गया है। वन विभाग ने बाघिन पर निगरानी रखने के लिए रबड़ फैक्टरी परिसर में छह सीसीटीवी कैमरे लगाए थे। जिससे बाघिन का मूवमेंट पता चल सके। जब भी वन विभाग को सीसीटीवी कैमरे पर ‘शर्मीली’ टहलती हुई दिखाई देती थी, पूरी टीम उसको पकड़ने में लग जाती थी। हालांकि लंबे समय से कोशिश करने के बाद भी टीम को इसे पकड़ने में कामयाबी नहीं मिल पा रही थी।

वहीं दो सप्ताह पहले पीलीभीत रिजर्व टाइगर की तीन विशेषज्ञों को बाघिन को पकड़ने के लिए लगाया गया था। जिसके बाद उन्हें अब कामयाबी मिली है। पीलीभीत रिजर्व टाइगर के विशेषज्ञों ने बाघिन को पकड़ने के लिए रेस्क्यू प्लान जारी किया। टीम को कैमरों के जरिये पता चला कि बाघिन एक 12 फीट ऊंचे व 25 फीट लम्बे टैंक में रह रही है। वन विभाग वालो ने टैंक के चारो तरफ से बड़े जाल लगा दिए और टैंक के दरवाजे पर पिंजरा लगा दिया। जिसके बाद जैसे ही बाघिन मेन दरवाजे पर आई उसे तुरंत बंद कर दिया गया। जिससे वह पकड़ में आई।

क्यों पड़ा ‘शर्मीली’ नाम

वन विभाग वालों ने बताया कि बाघिन के व्यवहार के कारण उसका नाम ‘शर्मीली’ रखा गया। इसे पकड़ लिया गया है और इसे जल्द ही किशनपुर सेंचुरी भेज दिया जाएगा।

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