
नई दिल्ली। थाईलैंड की सैन्य सरकार जुंटा ने आम नागरिकों के मुक़दमों को सैन्य अदालत में न चलाने की स्वीकृति दे दी है ।
मानवाधिकार संगठनों ने विपक्ष के सैकड़ों समर्थकों की सैन्य अदालत में सुनवाई की आलोचना की थी, जिसके बाद प्रधानमंत्री प्रयुत चान ओचा और जुंटा प्रमुख ने यह आदेश पारित किया ।
खबरो के मुताबिक, यह आदेश जो मामले अभी चल रहे हैं उन पर लागू नहीं होगा। वर्ष 2014 के मई में सत्ता पर कब्जा जमाने के बाद जुंटा ने सरकार की मजबूती के लिए कुछ उपाय किए थे, उनमें सैन्य अदालतों का इस्तेमाल एक था।
जुंटा उन सभी मामलों की सुनवाई सैन्य अदालत में करती है जिसे वह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा या अपने आदेश की अवज्ञा मानती है, किसी के पास अवैध हथियार पाए जाने पर भी सुनवाई इसी अदालत में होती है।
थाईलैंड के वकीलों के अनुसार, तख्तापलट के बाद कम से कम 1811 नागरिकों के खिलाफ सैन्य अदालत में मुकदमा चलाया गया है। वकीलों ने इन अदालतों में कानूनी गारंटी मुहैया कराने के अभाव और अपील या जमानत के अधिकार से इनकार को लेकर आलोचना की थी।
अगस्त में जनमत संग्रह और उसके बाद हुए नए संविधान की स्वीकृति के उपरांत जुंटा स्थिति को बेहतर बनाने के लिए सभी नागरिकों के मामलों की सुनवाई सामान्य अदालतों में लौटाने को उचित ठहरा रहे हैं।
आदेश में कहा गया है कि पिछले दो सालों में शांति बहाल हुई है और लोग देश को टिकाऊ विकास की ओर ले जाने, सुधार और ईमानदार मेल मिलाप में सहयोग कर रहे हैं।
इस फैसले में सेना को पुलिस का काम करने को यथावत रखा गया है। इसमें संदिग्धों को एक हफ्ते तक बैरकों में रखने जाने को बनाए रखा गया है। ह्यूमन राइट्स वाच ने इसे सीमित कदम करार दिया है।