तीनों सेनाओं ने मिलाया हाथ, आतंकी हमलों के लिए बना दिया स्‍पेशल ‘बम्‍बू’… अब ऐसे होगी दो फाड़

सेनाओंनई दिल्‍ली। देशविरोधी गतिविधियों के दौरान थल सेना, नौसेना और वायुसेना बेहतर तालमेल के साथ सैन्य ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ को प्रमुख हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने पर अब जोर देगी। जारी फॉर्मूले के मुताबिक मौजूदा समय में देश कई तरह के सुरक्षा खतरों से जूझ रहा है। इनमें बाहरी खतरों के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों द्वारा प्रॉक्सी वॉर और देश के कई हिस्सों में माओवादियों का आतंक शामिल है। इसमें कहा गया है कि आतंक विरोधी ऑपरेशन में ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ को सबसे ऊपर रखा जाएगा।

परंपरागत और छद्म युद्ध सहित संभावित सभी तरह के सुरक्षा खतरों से पार पाने के लिए देश की तीनों सेनाओं ने गठजोड़ किया है। मंगलवार को नौसेना प्रमुख ने आतंकवाद और नक्सलवाद जैसी देश विरोधी गतिविधियों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए एक ‘संयुक्त सिद्धांत’ का फॉर्मूला जारी किया है।

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जारी दस्तावेज के मुताबिक भारत कई तरह के संघर्ष की स्थिति से निपटने के लिए व्यावहारिक और कठोर कदम उठा रहा है। इसमें भड़काने वाली सशस्त्र आतंकी कार्रवाई का जवाब देने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक बहुत बड़ा हथियार हो सकता है।

संयुक्त सिद्धांत में सेना के जवानों का संयुक्त प्रशिक्षण, यूनिफाइड कमांड और नियंत्रित ढांचे के अलावा तीनों सेनाओं के आधुनिकीकरण का प्रावधान है। नया फॉर्मूला रणनीति और किसी ऑपरेशन को अंजाम देने में मददगार होगा। चाहे यह ऑपरेशन जमीन पर हो, आसमान में हो, समुद्र और अंतरिक्ष या साइबर स्पेस में ही क्यों न हो, एक व्यापक रूपरेखा के तहत काम होगा। नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने इस संयुक्त सिद्धांत को जारी किया।

इसके मुताबिक इस प्रयोग से जहां सेना के तीनों अंगों में बेहतर तालमेल होगा, वहीं धन की बचत होगी और संसाधनों का सर्वोत्तम इस्तेमाल हो पाएगा। इस मौके पर सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत और वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ भी मौजूद थे। रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि सशस्त्र सेनाओं में एकरूपता और सामूहिकता जीवन के किसी अन्य क्षेत्र की तरह ही समय की मांग है।

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