दिवाली की रात इस जगह लगता है तांत्रिकों का मेला

दिवाली की रात दीपावली में लक्ष्मी-गणेश की पूजा की जाती है. चारों तरफ पटाकों का शोर होता है. साथ ही दिवाली की रात को तंत्र साधना के मंत्र भी पढ़े जाते हैं. अमावस्‍या की काली रात में तंत्र साधना पूरे चरम पर होती है. तांत्रिक रात में सिद्धि के लिए विशेष साधना करते हैं. हमारे देश में दिवाली की रात इन जगहों पर विशेष अनुष्ठान होते हैं. इन जगहों पर पूरे देश से तांत्रिक आते हैं.

जबलपुर में दीपावली की रात को तांत्रिक मठों पर विशेष अनुष्ठान होते हैं. बाजनामठ स्थित तांत्रिक मंदिर में सिद्धि के लिए हर साल तांत्रिक आते हैं. इस जगह लोग गुप्त रास्ते से जाते हैं.

ब्रह्मपुराण के अनुसार, कार्तिक महीने की अमावस्या की रात धन की देवी लक्ष्मी भू लोक पर आती हैं.

इस रात की गई साधना को विशेष फलदायी माना जाता है. बाजनामठ का मंदिर एक ऐसा तांत्रिक मंदिर है जिसकी हर ईंट शुभ नक्षत्र में मंत्रों द्वारा सिद्ध करके जमाई गई है.

ऐसे मंदिर पूरे देश में कुल तीन हैं जिनमें एक बाजनामठ तथा दूसरा काशी और तीसरा महोबा में हैं. बाजनामठ का निर्माण 1520 ईस्वी में राजा संग्राम शाह द्वारा बटुक भैरव मंदिर के नाम से कराया गया था. इस मठ के गुंबद में त्रिशूल से निकलने वाली प्राकृतिक ध्वनि-तरंगों से शक्ति जागृत होती है.

तांत्रिक साधना केन्द्र बाजनामठ के अलावा चौसठयोगिनी मंदिर भी तंत्र साधना के बड़े केन्द्र रहे हैं. बाजनामठ के अलावा भेड़ाघाट स्थित गोलकीमठ विश्वविद्यालय के तांत्रिक साधना केन्द्र चौसठयोगिनी मंदिर पहुंचते है. यहां दिवाली की रात तांत्रिकों का मेला लगता है.

 

 

 

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