तमिलनाडु के एक मछुवारे ने दिनदहाड़े 18 कुत्तों को ज़हर देकर मार डाला , जाने मामला…

नई दिल्ली : तमिलनाडु की बात है ये. यहां कॉलेज रोड पर कोनगनागिरी नाम का इलाका है. एक दिन यहां रहने वालों ने देखा. एक के बाद एक कुत्ते मर रहे हैं. उनके मुंह से सफेद सा झाग निकलने लगता हैं।

कुत्ते

 

वहीं 13 मई को सात कुत्ते मरे. अगले रोज़ चार और कुत्तों ने दम तोड़ दिया. यूं 18 कुत्तों की एकाएक मौत हो गई. इनमें पालतू और आवारा, दोनों कुत्ते थे. कुछ और कुत्ते भी थे, जिनकी तबीयत खराब थी। वो मरने की कगार पर थे।  जहां डॉक्टर ने बताया, उन्हें ज़हरीला खाना दिया गया हैं।

 

 

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देखा जाये तो इल्ज़ाम है कि कुत्तों को ज़हर दिया एक गोपाल नाम के शख्स ने. वो इस इलाके में मछली बेचता है. यहां के लोगों का कहना है कि गोपाल कुत्तों से नाराज़ था. क्योंकि गोपाल जब अपनी मोपेड से होकर गुजरता, तो कभी-कभार ये कुत्ते उसपर भौंकते थे। बस इसी का बदला उसने कुत्तों से निकाला हैं। जहां उन्हें ज़हर दे दिया हैं। वो मछलियों में ज़हर मिलाकर उन्हें देता. कुत्ते खाते और मर जाते हैं।

स्थानीय लोगों ने पुलिस में शिकायत लिखवाई है. इनमें कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिनके कुत्तों को ज़हर खिलाया गया हैं।  लेकिन इनमें से एक ए बी मणिकंदन ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया-

इलाके में रहने वाले एक शख्स, जिनका कुत्ता एकाएक मर गया, ने सीसीटीवी का एक फुटेज दिखाया. हमने देखा, एक आदमी मोपेड से आया और उसने कुत्तों को खाने के लिए दिया. वो ही कुत्ते, जो मर गए. हम उस आदमी को पहचान गए. वो गोपाल है. वो मछलियां बेचता है. इसी इलाके में रहता है. गोपाल रात के समय मछलियां पकड़ता है. उन्हें अपने घर लाता है. साफ करके फिर उन्हें बेचता है.

एक और स्थानीय महिला एन चंद्रकला ने बताया-

मेरे पास एक पालतू कुत्ता है. उसके अलावा मैं इलाके में रहने वाले तीन कुत्तों को भी खाना खिलाती थी. उनमें से दो मर गए.

दरअसल हम नहीं जानते गोपाल ने ज़हर दिया या नहीं. उन्हें किसी ने तो ज़हर दिया. क्योंकि डॉक्टर ने ये बात कही है. किसी ने उन कुत्तों को उनकी पसंद की कोई चीज देकर ललचाया होगा ।

वहीं कुत्ते खाते हुए कितना खुश हुए होंगे। लेकिन गए होंगे. मरते-तड़पते हुए भी उन्हें नहीं पता होगा कि उन्हें कत्ल किया गया. कुत्ते निश्छल होते हैं. इंसानों पर भरोसा करना, इंसानों से प्यार करना उनके डीएनए में होता है।

वो गाड़ी के पीछे इतने गुस्से में क्यों भागते हैं, इसका ठीक-ठीक जवाब कोई नहीं दे सकता. मेरा मानना है कि उन्होंने गाड़ियों के पहियों तले अपने साथियों को कुचले जाते हुए देखा होता है। इसीलिए वो भागती गाड़ियों को देखकर गुस्सा हो जाते हैं।  जहां कई बार मैं सोचती हूं। धरती के लिए इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता कि सारे के सारे इंसान एक साथ मर जाएं। तब जानवर सुकूं से रह सकेंगे।

लेकिन धरती भी चैन की सांस लेगी. आपको मेरी बात पर एतबार न हो । किसी ने इतने सारे कुत्तों को ज़हर खिलाया हैं। शायद इसलिए कि वो उनके भौंकने से नाराज़ था। अब बताइए, ऐसी बेरहम प्रजाति को जीने का हक़ है क्या?

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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