छत्तीसगढ़ विधानसभा में जीएसटी विधेयक मंजूर

जीएसटीरायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के विशेष सत्र में सोमवार को वाणिज्यकर मंत्री अमर अग्रवाल ने वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी (122वां संविधान संशोधन) विधेयक पेश किया, जिसे सर्वसम्मति से मंजूरी मिल गई।

वाणिज्यिकर मंत्री ने अपने वक्तव्य में कहा कि यह प्रगतिशील टैक्स सुधार विधेयक है, जिससे छत्तीसगढ़ में आर्थिक वृद्धि तेज होगी। छत्तीसगढ़ में कर अपवंचन कम होगा और एक कर प्रणाली होने से छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्य का विकास होगा। मंत्री ने कहा कि हम कभी जीएसटी के विरोध में नहीं गए थे।

विधानसभा में मंत्री अमर अग्रवाल ने जीएसटी कर प्रणाली के इतिहास सहित इसकी प्रासंगिकता का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह कर प्रणाली पूरे विश्व में सबसे पहले 1954 में फ्रांस से शुरू हुई। इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसे लागू करने के संबंध में पहल की थी।

मंत्री ने बताया कि संविधान की धारा 246 के तहत केंद्र को अप्रत्यक्ष कर के रूप में आयकर सेंट्रल एक्साइज, सीबीडीटी तथा सर्विस टैक्स लगाने का अधिकार है, राज्य को प्रवेश कर, विक्रय लगाने का अधिकार है।

मंत्री ने बताया कि यूपीए सरकार के तत्कालीन वित्तमंत्री एवं भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश में एक कर प्रणाली लागू करने के लिए एक अभियान चलाया, जिस पर निरंतर 16 वर्षो से देश के वित्तमंत्रियों के साथ रायशुमारी होती रही। 2005 में केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम के नेतृत्व में एक सशक्त समिति का गठन किया गया। इसमें राज्य के राजस्व के संबंध में चर्चा हुई।

मंत्री अमर अग्रवाल ने बताया कि कोई भी राज्य राजस्व की हानि सहन नहीं कर पाता, इसलिए इसको लेकर यह समिति बनी कि संविधान में संशोधन किया जाए।

जीएसटी को लेकर संविधान संशोधन में चर्चा में भाग लेते हुए वरिष्ठ कांग्रेस विधायक सत्यनारायण शर्मा ने कहा कि कांग्रेस के समर्थन से ही जीएसटी पारित हो रहा है। उन्होंने राज्य शासन से कहा कि वह कांग्रेस द्वारा उठाई गईं विभिन्न मांगों का समर्थन करें।

शर्मा ने कोयला, पेट्रोलियम सहित अन्य खनिज उत्पादों पर कर की क्या प्रणाली होगी, इसके संबंध में स्पष्टीकरण भी मांगा। गरीबों की थाली में महंगाई की मार की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि खाद्यान्नों पर टैक्स बढ़ेगा या कम होगा, इस पर चर्चा होनी चाहिए।

जीएसटी पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस सदस्य भूपेश बघेल ने कहा कि इसे लेकर व्यापारियों में काफी भ्रम है। जीएसटी से देश के हर वर्ग पर असर पड़ा है। सारा राजस्व केंद्र के हाथों में चला जाएगा, ऐसे में राज्य की आमदनी केंद्र के रहमोकरम पर होगी।

उन्होंने कहा कि राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई पांच साल तक केंद्र सरकार करेगी, उसके बाद के घाटे का क्या होगा? बघेल ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र में जीएसटी को विरोधाभासों पर श्वेतपत्र लाने की मांग की।

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