जानिये राजधानी के ये 5 चमत्कारी मंदिर के बारे में, पूरे देश में हैं प्रसिद्ध
दिल्ली सिर्फ चकाचौंध का ही नहीं आध्यात्मिक शहर भी है। यहां कई प्राचीन मंदिर हैं जिनकी काफी मान्यता है। अगर आप दिल्ली में रहते हैं और आपके परिवार वाले गावं से दिल्ली आए हैं तो उन्हें सिर्फ दिल्ली दर्शन के नाम पर लाल किला और कुतुब मिनार ही न घूमाएं बल्कि दिल्ली के प्रसिद्ध धार्मिक मंदिरों की भी सैर कराएं। यहां हम आपको दिल्ली के ऐसे ही पांच फेसम मंदिरों के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
झंडेवालान मंदिर
झंडेवालान मंदिर दिल्ली का फेमस मंदिर है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां आने वाले सभी श्रद्धालुओं की मन्नतें पूरी होती हैं। इस मंदिर में हजारों की तादाद में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं। अगर गांव से आपका परिवार दिल्ली आ रहा है तो उन्हें झंडेवालान मंदिर के दर्शन जरूर कराएं।
कालकाजी मंदिर
कालकाजी मंदिर माता का फेमस मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में किया गया था। मंदिर में आने वाले भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। हालांकि, मंदिर का विस्तार पिछले 50 सालों का ही है। नवरात्री में इस मंदिर में भक्तों की काफी भीड़ लगती है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण पाण्डवों को लेकर यहां आए थे। उन्होंने मां काली की पूजा की और विजयी होने का वर प्राप्त किया था।
योगमाया मंदिर
यह मंदिर दिल्ली में कुतुबमीनार से एकदम नजदीक है। योगमाया मंदिर बहुत पुराना मंदिर है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि इसका निर्माण महाभारत के बाद पांडवों ने किया था। मंदिर का नाम भगवान श्रीकृष्ण की बहन योगमाया के नाम पर है।
छतरपुर मंदिर
यह दिल्ली का सबसे फेमस और सबसे बड़े मंदिरों में से एक है। यह छतरपुर में है। नवरात्री के वक्त छत्ररपुर मंदिर में बड़ी भीड़ लगी रहती है। अगर आपका परिवार गांव से दिल्ली आया है तो उन्हें इस मंदिर के दर्शन जरूर करवाएंं। इस मंदिर की स्थापना कर्नाटक के संत बाबा नागपाल जी ने की थी। इससे पहले मंदिर स्थल पर एक कुटिया हुआ करती थी। लेकिन, आज यहां माता का भव्य मंदिर है।
गुफा वाला मंदिर
यह मंदिर प्रीत विहार में है। यहां गुफा के भीतर माता रानी विराजमान है। गुफा के भीतर मां चिंतपूर्णी, माता कात्यायनी, संतोषी मां, लक्ष्मी जी, ज्वाला जी की मूर्तियां हैं। गुफा में गंगा जल की एक धारा बहती रहती है। इस मंदिर का निर्माण 1987 में शुरू हुआ था और यह मंदिर 1994 में बनकर तैयार हुआ था।