जानिए सावन के इस पवित्र महीने का महत्व और पूजा विधि

आज यानि 17 जुलाई, बुधवार से सावन का पवित्र महीना शुरू हो गया है। भगवान शिव को समर्पित इस महीने को सबसे पवित्र महीना माना जाता है. शास्त्रों की माने तो अन्य दिनों की अपेक्षा सावन के महीने में भगवान शिव जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं।

जानिए सावन के इस पवित्र महीने का महत्व और पूजा विधि

सावन के महीने का हिंदू धर्म में बहुत बड़ा महत्व है. आज से सावन के पवित्र महीने की शुरूआत हो गई है. यह पावन महीना 17 जुलाई से शुरू होकर 15 अगस्त तक रहेगा.

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हिंदू धर्म के अनुसार ये महीना भगवान शिव को बेहद प्रिय होता है. आइए जानते हैं सावन में कैसे करनी चाहिए भोले की पूजा और क्या है शिवरात्रि की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त.

सावन के महीने में शिवलिंग पर जल अभिषेक करने से कई गुणा फायदा मिलता है। पूजा के दौरान कई बार कुछ गलतियां कर बैठते हैं ऐसे में भगवान शिव की आराधना करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।

सावन के महीने में सात्विक भोजन करना चाहिए। सावन का महीना भगवान शिव को बहुत ही प्रिय होता है। इस कारण मांस, मदिरा, प्याज और लहसुन का सेवन बंद कर देना चाहिए।

सावन में हरी पत्तेदार सब्जियों का त्याग करना अच्छा माना जाता है क्योंकि सावन में हरी सब्जियों में पित्त बढ़ाने वाले तत्व की मात्रा बढ़ जाती है। इसके अलावा सावन के महीने में कीट-पतंगों की संख्या बढ़ जाती है जो सेहत के लिए हानिकारक होते हैं।

कभी भी शिवलिंग पर हल्दी नहीं चढ़ानी चाहिए। शिवलिंग पुरुष तत्व से संबंधित है।

सावन के महीनों में दूध का सेवन कम करना चाहिए। यही बात बताने के लिए सावन में शिव जी का दूध से अभिषेक करने की परंपरा शुरू हुई। वैज्ञानिक मत के अनुसार इन दिनों दूध पित्त बढ़ाने का काम करता है।

सावन में बैंगन खाना अच्छा नहीं माना गया है। बैंगन को शास्त्रों में अशुद्ध कहा गया है। वैज्ञानिक कारण के नजरिए से देखें तो सावन में बैंगन में कीड़े अधिक लगते हैं। ऐसे में बैंगन का स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

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सावन के महीने में किसी भी प्रकार के बुरे विचार मन में नहीं लाना चाहिए।

सावन के महीने में किसी का अपमान नहीं करना चाहिए।

सावन में अगर घर के दरवाजे पर सांड या गाय आ आए तो उसे मार कर भगाने की बजाय कुछ खाने को दें। सांड को मारना शिवजी की सवारी नंदी का अपमान माना जाता है।

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