जानिए मेडिक्लेम पॉलिसी की तरह अब कभी भी काम आएगा बैंक में रखा ब्लड…

नई दिल्ली : कई बार जरूरत पड़ने पर घर के सदस्यों का ही ब्लड मरीज से मेल नहीं खाता तो ऐसे में मरीज के लिए ब्लड तलाश करना मुश्किल हो जाता है। इस तरह की समस्या से बचने के लिए एक आसान सा उपाय सामने आया है। कॉर्ड ब्लड बैंकिंग के द्वारा इस समस्या से बचा जा सकता है। जहां अम्बिलिकल कॉर्ड ब्लड बैंक किसी व्यक्ति को वैसे ही मदद कर सकता है, जैसे मेडिक्लेम पॉलिसी।

ब्लड

 

बता दें की जन्म के तुरंत बाद शिशु की अम्बिलिकल कॉर्ड (गर्भनाल) और प्लेसेंटा (अपरा) में बचे खून को भविष्य में चिकित्सकीय इस्तेमाल के लिए संरक्षित रखने की प्रक्रिया ही कॉर्ड ब्लड बैंकिंग है। कई तरह की जानलेवा बीमारी में कॉर्ड ब्लड अहम भूमिका निभा सकता है। इसमें ब्लड कैंसर (ल्यूकेमिया), प्रतिरक्षण क्षमता में कमी, सिकल सेल एनीमिया, एप्लास्टिक एनीमिया और थैलेसीमिया भी शामिल हैं।

 

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दरअसल देश में कोलकाता के स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन में सरकार द्वारा संचालित पहले कॉर्ड ब्लड बैंक की शुरुआत हुई है। इसके अलवा देश के कई बड़े शहरों में निजी कॉर्ड ब्लड बैंक भी संचालित हो रहे हैं। निजी बैंकों में 20 हजार रुपये तक चुकाकर कॉर्ड ब्लड सुरक्षित किया जा सकता है। कॉर्ड के संरक्षण के लिए बैंक 3500 से चार हजार रुपये सालाना लेते हैं।

 

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