जानिए भारत में मौजूद एक ऐसी जगह के बारे में जहां खुद-ब-खुद झुक जाते हैं पाकिस्‍तानियों के सिर

भारत-पाकिस्तान की जीरो लाइन के पास एक ऐतहासिक दरगाह है ‘बाबा चमलियाल’ की। ऐसी मान्यता है कि यहां जो भी चर्म रोग से पीड़ित व्यक्ति आता है, उसके रोग का इलाज निश्चित रूप से हो जाता है। साल में एक बार यहां मेला भी लगता है, जिस मेले में पाकिस्तान से बाबा की मजार के लिए चादर आती है और बदले में शक्कर और शरबत पाकिस्तान को भेजी जाती है।

भारत-पाकिस्तान की जीरो लाइन के पास एक ऐतहासिक दरगाह है ‘बाबा चमलियाल’ की। ऐसी मान्यता है कि यहां जो भी चर्म रोग से पीड़ित व्यक्ति आता है, उसके रोग का इलाज निश्चित रूप से हो जाता है। साल में एक बार यहां मेला भी लगता है, जिस मेले में पाकिस्तान से बाबा की मजार के लिए चादर आती है और बदले में शक्कर और शरबत पाकिस्तान को भेजी जाती है।

यह पाकिस्तानी रेंजर न सिर्फ आते हैं, बल्कि सिर भी झुकाते हैं। ये अद्भुत जगह जम्मू से करीब 45 किलोमीटर दूर रामगढ़ सेक्टर में है।

भारत-पाकिस्तान की जीरो लाइन के पास एक ऐतहासिक दरगाह है ‘बाबा चमलियाल’ की। ऐसी मान्यता है कि यहां जो भी चर्म रोग से पीड़ित व्यक्ति आता है, उसके रोग का इलाज निश्चित रूप से हो जाता है। साल में एक बार यहां मेला भी लगता है, जिस मेले में पाकिस्तान से बाबा की मजार के लिए चादर आती है और बदले में शक्कर और शरबत पाकिस्तान को भेजी जाती है।

सांबा जिले के रामगढ़ सेक्टर में बाबा चमलियाल की दरगाह पर हर साल एक मेला लगता है। इस मेले में भारत-पाकिस्तान की सीमा का बंधन टूट जाता है। सांप्रदायिक सौहार्द्र के प्रतीक बाबा की दरगाह पर दुश्मन समझे जाने वाले पाकिस्तान के लोग भी आकर एक-दूसरे के गले मिलते हैं। भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद पिछले 69 सालों से यह परंपरा चली आ रही है।

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सांबा जिले की भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर ऐतिहासिक बाबा चमलियाल मेले में हर साल हजारों श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है। मजार पर माथा टेकने के लिए राज्य के अलावा बाहर से भी लोग आते हैं।

इस मेले में आने वाले पाकिस्तानी रेंजर अपने साथ दरगाह पर चढ़ाने के लिए चादर लाते हैं। वे खुद दरगाह पर चादर चढ़ाकर सिर झुकाते हैं। लौटते समय पाक रेंजर ट्रैक्टर के साथ पानी के टैंकर तथा मिट्टी की ट्रालियां ले जाते हैं। पानी को ‘शर्बत’ तथा मिट्टी को ‘शक्कर’ के नाम से पुकारा जाता है।

मेले में शांति ध्वजों के साथ पाकिस्तानी रेंजर के अधिकारी अपने सहयोगियों के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा पर जीरो लाइन पर खड़े BSF के अधिकारियों और उनके साथी एक दूसरे को सैल्यूट कर तपती दोपहरी में एक-दूसरे का हालचाल पूछते हैं।

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कुछ साल पहले तक पाक रेंजर अपने साथ अपनी पत्नी और बच्चों को भी लाते थे। लेकिन बाद में तनाव बढ़ने पर सिर्फ रेंजर ही आने लगे। इस सीमा चौकी पर एक मजार होने से मेले के साथ धार्मिक भावनाएं भी जुड़ी हैं। कहा जाता है कि जिस कुएं का पानी सीमा पार भेजा जाता है, उसमें गंधक की मात्रा बहुत अधिक है।

इस विशेष स्थान की मिट्टी में कुछ ऐसे केमिकल पाए जाते हैं जो चर्म रोगों के इलाज में कारगर होते हैं। इसलिए इस पानी तथा मिट्टी का लेप बना चर्म रोगी शरीर पर लगाकर रोगों से मुक्ति पाते हैं।

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