जानिए भारतीय वायु सेना को शीर्ष तक पहुंचने वाला एकमात्र मार्शल ‘अर्जन सिंह’ के बारे में 

16 अप्रैल 1919 को जन्में अर्जन सिंह देश के एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जो भारतीय वायुसेना के सबसे शीर्ष एवं पांच सितारा रैंक तक पहुंने में सफल हुए। उन्हें केवल 44 साल की उम्र में ही भारतीय वायु सेना का नेतृत्व करने की ज़िम्मेदारी दी गई थी जिसे उन्होंने शानदार तरीके से निभाया। उन्होंने 1965 में भारत पाकिस्तान युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 2002 में गणतंत्र दिवस के अवसर पर उन्हें मार्शल रैंक से सम्मानित किया गया था।

अर्जन सिंह

पंजाब के लायलपुर में जन्में अर्जन सिंह का परिवार ब्रिटिशकालीन भारत के सैन्य परिवार से संबध रखने वाला था। उनके पिता रिसालदार थे जो कि एक डिवीज़न कमांडर के एडीसी के रुप में सेवा प्रदान करते थे। उनके दादा रिसालदार मेजर हुकम सिंह सन 1883 और 1917 के बीच कैवलरी से संबधित थे। अर्जन सिंह ने मांटगोमरी से शिक्षा हासिल की।

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उन्होंने 1938 में आरएएफ कॉलेज क्रैनवेल में प्रवेश किया और दिसंबर, 1939 में एक पायलट अधिकारी के रूप में नियुक्ति पाई। इसके बाद सन 1944 में उन्होंने भारतीय वायु सेना की नंबर 1 स्क्वाड्रन का अराकन अभियान के दौरान नेतृत्व किया।

देश जब 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्र हुआ, तब अर्जन सिंह को 100 भारतीय वायु सेना के उन विमानों का नेतृत्व करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी, जो दिल्ली और लाल क़िले के ऊपर से गुज़रे थे।

1 अगस्त, 1964 को 45 साल की उम्र में अर्जन सिंह भारतीय वायु सेना के प्रमुख बने और वे ऐसे पहले वायु सेना प्रमुख थे, जिन्होंने चीफ़ ऑफ़ एयर स्टाफ़ यानी प्रमुख रहते हुए भी वे विमान उड़ाते रहे और अपनी फ्लाइंग कैटिगरी को बरकार रखा।

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अर्जन सिंह न केवल निडर पायलट थे, बल्कि उन्हें वायु सेना की गहरी जानकारी थी। पाकिस्तान के खिलाफ 1965 में हुई लड़ाई में अर्जन सिंह ने भारतीय वायु सेना की कमान संभाली और पाकिस्तानी वायु सेना को जीत हासिल नहीं करने दी, जबकि अमेरिकी सहयोग के कारण पाकिस्तानी वायु सेना बेहतर सुसज्जित थी। 16 सिंतबर 2017 को दिल्ली में उनका निधन हो गया।

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