जानिए निजी कर्मचारियों को ज्यादा पेंशन देने को तैयार नहीं हैं EPFO , पढ़े खबर…

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट सेक्टर के सभी कर्मचारियों के पेंशन में भारी बढ़त का रास्ता साफ कर दिया है. इससे निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के पेंशन में कई गुना बढ़त होने की उम्मीद की जा रही है ।

पैसा

जहां कोर्ट ने इस मामले में ईपीएफओ की याचिका को खारिज करते हुए केरल हाई कोर्ट फैसले को बरकरार रखा है। लेकिन लगता है कि ईपीएफओ इस मामले में हार मानने को तैयार नहीं है। वहीं कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पुनिर्विचार याचिका दाखिल करने की तैयारी कर रहा है।

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खबरों के मुताबिक गत एक अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ईपीएफओ की याचिका को खारिज करते हुए केरल हाई कोर्ट फैसले को बरकरार रखा है।

देखा जाये तो केरल हाईकोर्ट ने कर्मचारियों को उनकी पूरी सैलरी के हिसाब से पेंशन देने का आदेश दिया गया था। लेकिन ईपीएफओ द्वारा 15,000 रुपये के बेसिक वेतन की सीमा के आधार पर पेंशन की गणना की जाती  है।

गौरतलब है कि कर्मचारियों के बेसिक वेतन का 12 फीसदी हिस्सा पीएफ में जाता है और 12 फीसदी उसके नाम से नियोक्ता जमा करता है. कंपनी की 12 फीसदी हिस्सेदारी में 8.33 फीसदा हिस्सा पेंशन फंड में जाता है और बाकी 3.66 पीएफ में है। जहां सुप्रीम कोर्ट के फैसले से निजी कर्मचारियों के पेंशन की गणना पूरे वेतन के आधार पर होगी, इससे कर्मचारियों की पेंशन कई गुना बढ़ जाने का अनुमान था।

दरअसल EPF पेंशन  या EPS एक पेंशन स्कीम है़, जिसके तहत प्राइवेट सेक्टर के संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों की नौकरी के दौरान बेसिक सेलरी के 8.33 फीसदी (1250 रुपए मासिक से ज्यादा नहीं) के बराबर पैसा इस स्कीम में जमा होता है।

जहां इसके एवज में, यह कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद निश्चित ​मासिक पेंशन प्रदान करती है. केरल हाईकोर्ट ने कर्मचारियों को उनकी पूरी सैलरी के हिसाब से पेंशन देने का आदेश दिया गया था। फिलहाल ईपीएफओ द्वारा 15,000 रुपये के बेसिक वेतन की सीमा के आधार पर पेंशन की गणना की जाती है।

 

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