जानिए नासा में निकली ऐसी नौकरी , जिसकी तनख्वाह लाखों में
नई दिल्ली : द नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) को कुछ वालेंटियर्स की दरकार है। जहां इसके लिए यह शोध एजेंसी उन वालेंटियर्स को कुल 13 लाख रुपये का मेहनताना देने को राजी है। लेकिन यह वेतनमान एजेंसी कुल 60 दिनों के काम के लिए दे रही है।
जहां बतौर काम आवेदनकर्ता को 60 दिनों तक लेटने की इच्छा शक्ति रखनी होगी। देखा जाये तो नासा की ओर से इस नौकरी के लिए जारी किए गए विज्ञापन के अनुसार यह भर्ती एक खास किस्म के शोध के लिए की जा रही है।
10वीं पास युवाओं के लिए डाक विभाग ने निकाली भर्तियां, आप भी कर सकते हैं अप्लाई
बता दें की इसमें आवेदनकर्ता की योग्यता को लेकर बस इतना कहा गया कि आवेदक बीच रिसर्च में नौकरी छोड़ने की बात ना करे। लेकिन नौकरी के लिए न्यूनत अर्हता या जॉब रिस्पॉन्सिबिलिटी यही है कि आवेदक को नौकरी के दौरान 60 दिनों तक लगातार लेटे रहना होगा।
देखा जाये तो दिया जाएगा खास तरह का विस्तर, टीवी का भी होगा इंतजाम जिस किसी भी उम्मीदवार का चयन इस पद के लिए होगा उसके लिए एक खास किस्म का विस्तर लगाया जाएगा।
लेकिन लगातार 60 दिनों तक नौकरी में लेटे रहना है इसलिए इम्प्लॉई को टीवी व इंटरटेनमेंट आदि की व्यवस्था की जाएगी। ताकि वह मानसिक तौर पर परेशान ना हो। वहीं नौकरी के दौरान उसे अपने जीवन के सभी काम बिस्तर पर ही करने होंगे।
यहां तक कि उसे टॉयलेट, खान व अन्य दैनिक क्रियाएं भी बिस्तर पर ही निपटानी होंगी। खबरों के मुताबिक यह रिसर्च अंतरिक्ष में यात्रियों की मानसिक स्थिति और शरीरिक स्थिति पर आर्टिफिशियल ग्रेविटी के क्या प्रभाव होते हैं, इसी का मुआयना होगा। इस शोध में नासा के साथ यूरोपीय स्पेस एजेंसी से आए कुछ विशेषज्ञ भी काम करेंगे। जहां इस दौरान वालेंटियर्स के दो ग्रुप बनाए जांएगे। और ये दोनों ग्रुप ग्रेविटी चेंबर में डाल दिए जाएंगे।
वहीं एक ग्रुप लेटने वाले लोग लगातार एक केंद्र को धूरी बनाकर लगातर घूमते रहेंगे। जबकि दूसरा ग्रुप अपने जगह पर लेटा रहेगा। इस दौरान ऐसी स्थितियां उत्पन्न की जाएंगी जैसा कि अंतरिक्ष यात्री यान में बैठे करते हैं।
लेकिन इस दौरान यह जानने की कोशिश की जाएगी कि लंबे समय तक स्पेस में रहने के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों की मांसपेशियां में किस तरह के बदलाव होते हैं। वहीं जीरो ग्रैविटी में शरीर क्या बदलाव आता है।
दरअसल इस पद पर कुल 12 भर्ती की जाएंगी. इसके लिए कुल 24 लोगों का टेस्ट लिया जाएगा. इनमें से 12 को चयनित किया जाएगा. यह रिसर्च जर्मनी स्थित नासा के सेंटर में किया जाएगा। नासा एक स्पेस रिसर्च सेंटर के तौर पर जाना जाता है।
हालांकि नासा का गठन नैशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस अधिनियम के अंतर्गत 19 जुलाई 1948 में इसके पूर्वाधिकारी संस्था नैशनल एडवाइज़री कमिटी फॉर एरोनॉटिक्स (एनसीए) के स्थान पर किया गया था। इस संस्था ने 1 अक्टूबर 1948 से कार्य करना शुरू किया हैं।
वर्तमान में नासा अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन को समर्थन दे रही है और ओरायन बहु-उपयोगी कर्मीदल वाहन व व्यापारिक कर्मीदल वाहन के निर्माण व विकास पर ध्यान केंद्रित कर रही है। संस्था लॉन्च सेवा कार्यक्रम (एलएसपी) के लिए भी जिम्मेदार है जो लॉन्च कार्यों व नासा के मानवरहित लॉन्चों कि उलटी गिनती पर ध्यान रखता है।