5जी’ और इसके परीक्षणों को लेकर दुनिया में एक बहस छिड़ गई है। खासतौर पर, दक्षिण एशिया के कई देश इस तकनीक से चिंतित हैं। अगर भारत की बात करें तो यहां अभी 5जी के ट्रायल पर बनी समिति की रिपोर्ट का इंतजार हो रहा है, लेकिन इसके साथ ही विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों, उद्योगपतियों, बैंक सेक्टर, ट्रांसपोर्ट, पावर, वित्त, टेलीकॉम और साइबर क्राइम के जानकारों को सुरक्षा का भय सताने लगा है।सभी की चिंता एक ही है, सुरक्षा में सेंध।

बतादें की क्या ‘5जी’ आने से भारत का सुरक्षा चक्र टूटेगा, लीकेज या हैकिंग पर किस तरह काबू पाएगी सरकार। इन सवालों का जवाब तलाशने के लिए अमर उजाला डॉट कॉम ने आईआईटी चेन्नई में कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्य प्रो. वी. कामाकोटी से खास बातचीत की है।
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वे बुधवार शाम को विश्व मामलों की भारतीय परिषद (आईसीडब्लूए) में ‘5जी टेक्नोलॉजी फ्रॉम एन इंडियन पर्सपेक्टिव’ विषय पर लेक्चर देने के लिए पहुंचे थे। प्रो.वी.कामाकोटी का कहना है, 5जी तकनीक आर्थिक ही नहीं, बल्कि तमाम दूसरे क्षेत्रों के विकास के लिए भी जरुरी है।इससे बैंकिंग सेक्टर, ट्रांसपोर्ट, पावर, स्पेस और रिमोट सर्जरी जैसे क्षेत्रों में बहुत मदद मिलेगी।
एक तरफ इसके पॉजीटिव पहलू असीमित हैं तो दूसरी ओर हैकिंग या डाटा चोरी जैसी नकारात्मक बातें भी साथ रहेंगी। कई देश दूरसंचार तकनीक के जरिए एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में तांकझांक करने का प्रयास करते हैं। चीन, अमेरिका, नॉर्थ कोरिया और जापान सहित कई दूसरे देश अपने अपने तरीके से 5जी को परिभाषित कर रहे हैं। लेकिन चीन को हर हाल में एनएसए यूएस के टूल्स चाहिए। कोई देश डाटा नहीं चुरा पाता तो वह साइटों पर ही अटैक कर देता है। यूएस और चीनी कंपनी हुआवेई का मामला दुनिया के सामने है।
प्रतिबंधों का सामना कर रही दूरसंचार उपकरण कंपनी हुआवेई को सरकार और सैन्य अधिकारियों की कंपनी बताने को लेकर चीन, अमेरिका पर अपनी भड़ास निकाल रहा है। अमेरिका का दावा है कि दूरसंचार निर्माता कंपनी हुआवेई के चीन की सरकार, सेना और खुफिया एजेंसियों के अधिकारियों से रिश्ते हैं।यही वजह है कि गूगल और माइक्रोसॉफट ने इस पर बैन लगा दिया है।
प्रो. वी. कामाकोटी कहते हैं, आज के दौर में केवल इस डर से कि फलां तकनीक अपनाने से देश की सुरक्षा को खतरा पैदा हो जाएगा, उसे नहीं लेंगे, यह संभव नहीं है। हमें खतरा और तकनीक, दोनों को साथ लेकर चलना होगा। मान लीजिये ‘ए’ देश है, वह अपनी तकनीक से काम कर रहा है; ‘बी’ देश उसे अपना टारगेट बनाना चाहता है तो वह किसी भी तीसरे देश के उपकरणों के जरिए यह सब कर सकता है।
ऐसी स्थिति में ‘ए’ राष्ट्र को अपने स्तर पर बचाव के तरीके खोजने होंगे। ऐसी तकनीक के आदान प्रदान में कई बार शर्तों पर बातचीत होती है। जैसे, भारत हुआवेई कंपनी के साथ कोई अनुबंध करता है तो इसके लिए उसे पहले चीन के साथ सुरक्षा के मसले पर बात करनी होगी। ऐसे खतरों से निपटने के लिए सबसे जरुरी है, स्वदेशीकरण। 5जी तकनीक, इसके फायदे या नुकसान, जो भी हो, स्वदेशीकरण सबसे अचूक हथियार है। इसके आधार पर 5जी का रोल आउट मॉडल तैयार करें।
दूसरा, हार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर एक ही वेंडर से न लें। इस तकनीक को कमोडिटी हार्डवेयर पर रन करें। अपने देश में ही नेनो सेंसर डिजाइन रिसर्च पर फोकस किया जाए। इंडिया में पीसीबी टेस्टिंग सुविधा हो। इसके लिए 5जी के स्टेंडर्ड असेंसियल पेटेंट्स तैयार करें। राष्ट्रीय स्तर पर सेक्टर वाइज साइबर सिक्योरिटी प्रोग्राम शुरु किए जाएं।ये सब एनसीआईआईपीसी के तहत हो सकता है।
भारत जैसे देश को अभी 4जी तकनीक का पूर्ण इस्तेमाल कर खुद का रिस्क मेनेजमेंट सिस्टम तैयार करना चाहिए।
देखा जाये तो इस पर आसानी से काम किया जा सकता है। प्रो. वी. कामाकोटी के मुताबिक, ऐसी तकनीकों को हम केवल इंडस्ट्री के इस्तेमाल या मनोरंजन के लिए न मानें। हमारे पास जो मौजूदा 4जी है, उसकी मदद से एक मजबूत साइबर सिक्योरिटी सिस्टम तैयार किया जा सकता है। हम यह बात तो लगातार कह रहे हैं कि 5जी आने से सुरक्षा कमजोर पड़ेगी।
कोई भी हैकर या शत्रु राष्ट्र सेकेंड से भी कम समय में हमारा डॉटा चुरा सकता है। इसके लिए हमें खुद का सिक्योरिटी सिस्टम तैयार करना होगा। स्वदेशीकरण के जरिए चिप तैयार करनी पड़ेगी। अगर हम अपनी चिप नहीं बना सकते तो हैकर को कैसे रोकेंगे। हार्डवेयर नहीं तो कम से कम ऐसे सॉफ़्टवेयर डिजाइन करें, जिससे हैकिंग को रोका जा सके। भारत के पास आज बेहतरीन सॉफ़्टवेयर डिजाइनर हैं।
अगर हम सर्वर मेनुफेक्चर नहीं कर सकते तो उसका डिजाइन बना सकते हैं। ये सब हमें स्वदेशीकरण के जरिए करना होगा। कम से कम एक अलार्म हर उपकरण में फ़िट हो जाए। जैसे ही कोई गलत मेल या डाटा चुराने का दूसरा कोई प्रयास हो तो तुरंत अलार्म बजने लगे। यह सिस्टम मोबाइल फोन, लेपटॉप और आईपैड आदि में लग सकता है। एक सवाल के जवाब में प्रो.कामाकोटी ने कहा, हम दूसरे देश से 5जी तकनीक के उपकरण लेंगे तो संभव है कि वह देश किसी न किसी तरह हमारी सुरक्षा में सेंध लगाने का प्रयास करे।