जानिए क्या योग हिंदू है , हुआ खुलासा…

इस ज़मीन पर रहने वाले लोगों को फारसी लोगों ने हिंदू और ग्रीक लोगों ने इंडियन कहा. वहीं ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इस धरती पर रहने वाले लोग सिंधु नदी के पार रह रहे थे और सिंधु नदी को फारस में हिंद औऱ ग्रीस में इंडिया कहा जाता था.

 

योग

बता दें की ब्रिटिश जनता ने इस सब-कॉन्टिनेंट को इंडिया और अमेरिका ने साउथ एशिया कहा. पुराणों में इसे जंबूदीप कहा गया है. जंबूद्वीप, जांबुल या जांबू से निकला शब्द है यानी जामुन की धरती. आज इस एरिया में इंडिया, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश आते हैं.

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आज इंडिया राजनीतिक शब्द बन चुका है जबकि इंडिक एक कल्चरल शब्द है. हिंदू असल में भौगोलिक शब्द है पर ये आज धार्मिक शब्द बन चुका है. अपनी तर्कशक्ति के आधार पर आप ये सिद्ध कर सकते हैं कि हिंदू एक धर्म है जिसे ब्रिटिश लोगों ने 19वीं सदी में बनाया या आप ये भी कह सकते हैं कि ये एक जीवनशैली है जिसका उदय 5000 साल पहले हुआ.

अमेरिका में राजनीतिक और आर्थिक वजहों से ये प्रश्न उठाया गया कि क्या योग हिंदू है. क्योंकि कुछ हिन्दुओं को ऐसा लगता है कि अमरीकियों ने हिन्दू शब्द को अपने फायदे के लिए अपनाया, उसका व्यवसायीकरण किया और उससे उसकी आध्यात्मिक महत्त्व को छीन लिया.

जबकि और लोग ये कहते हैं कि ये हिंदुओं से संबंधित नहीं है इसलिए इसका किसी के द्वारा अपने मतलब के लिए इस्तेमाल किये जाने का सवाल ही नहीं उठता है. देखा जाए तो ये दो क्षेत्रों के लोगों के बीच ‘मेरा है’ या ‘तेरा है’ की लड़ाई बन चुका है और योग को इस गुत्थी को सुलझाना होगा. 

लेकिन एक बात तो तय है कि इसका विचार दुनिया के इसी हिस्से में सैकड़ों सालों तक की गई कई लोगों की मेहनत की वजह से ही उपजा. आज योग का जो स्वरुप हम देख रहे हैं वो 20वीं सदी में इंडिया में ही हिन्दुओं द्वारा की गई इसकी री-पैकेजिंग की बदौलत हुआ है. सिंधु घाटी में मिली मुहर में एक व्यक्ति भद्रासन मुद्रा में बैठा हुआ दिखाई देता है. क्या ये योग ही था? हम इसपर सवाल उठा सकते हैं.

वहीँ 4000 साल पुरानी वैदिक परंपराओं के अनुसार योग का अर्थ बैलगाड़ी में बैल को जोतने से था. आज भी योग को बोलचाल की भाषा में जब ‘जोग’ कहते हैं तो उस वक़्त हम तमाम शक्तियों की स्थिति के बारे में बात कर रहे होते हैं.

उदाहरण के तौर पर, ज्योतिष शात्र में ग्रहों की पोज़ीशन. कोई ये भी कह सकता है कि ‘जुगाड़’ शब्द ‘जोगी’ से आया है. जोगी का अर्थ होता है एक ऐसा साधन संपन्न व्यक्ति जो ऐसा ‘जोग’ बना सकता है जो पहले कभी अस्तित्व में ही  नहीं था. इसलिए इस शब्द की वैदिक जड़ें हैं.

दरअसल 2000 साल पुराने पुराण काल में वैदिक और श्रमण परंपराएं शिव, विष्णु और देवी की कहानियों के आगे छोटी पड़ने लगीं. शिव वो देवता हो गए जिन्होंने अपने शिष्य पतंजलि, जो कि एक सांप था, को योग सिखाया और उसी के द्वारा बाद में यह दूसरों तक पहुंचा.

देखा जाये तो विष्णु भी कृष्ण के अवतार में अर्जुन को और राम बनकर हनुमान को इसके बारे में बताते हैं. यहां हम योग को लेकर लोगों की मान्यताओं में अंतर देखने लगते हैं. कुछ लोग योग के मानसिक पक्ष पर ज़्यादा ज़ोर देते हैं जिसमें जीवात्मा और परात्मा मिलते हैं जिसे हम समाधि कहते हैं. जबकि कुछ लोग इसके भौतिक पक्ष यानी सिद्धि पर ज़ोर देते हैं जिसमें संन्यास के द्वारा चमत्कारी शक्तियां पाई जाती हैं.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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