जानिए किस तरह की छत होने से घर में बढ़ सकती हैं नकारात्मक उर्जा, पढ़िए वास्तु टिप्स

 

कुंडली का 12वां भाव घर की छत माना गया है. घर की छत को अच्‍छा रखेंगे तो 12वां भाव भी अच्छा होना माना जाता है. घर की छत कई प्रकार की होती है। जब हम छत की बात कर रहे हैं तो इसका मतलब यह कि एक तो आपके रूम के भीतर की छत जहां पंखा आदि लगा होता है और दूसरा वह छत जिसे गच्ची या उपरी छत कहते हैं. आओ जानते हैं कि घर की उपरी छत कैसी होना चाहिए.

rooftop

*छतें मुख्‍यत: तीन प्रकार की होती है- सपाट छत, ढालू छत और गोल छत। तीनों ही छत वास्तु अनुसार बने तो बेहतर है। समाट छत के उपर और भी मंजिलें बनाई जा सकती है लेकिन ढालू छत में यह संभव नहीं। हालांकि कुछ मकान ऐसे होते हैं जिसमें समाट और ढालू दोनों ही प्रकार की छतों का उपयोग किया जाता है. अधिक वर्षावाले या बर्फबारी वाले क्षेत्रों में प्राय: ढालू छतें ही बनती हैं.

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*शहरों में अधिकतर सपाट छतों वाले मकान होते हैं. इन छतों में ध्यान रखने वाली बात यह कि ढलान किस ओर होना चाहिए। छत या घर के फर्श का ढलान वास्तु अनुसार रखना चाहिए. दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की तरफ ढलान होना चाहिए। घर की छत का ढलान इसके विपरित नहीं होना चाहिए। अब सवाल यह उठता है कि जिसका पश्चिम या दक्षिणमुखी माकन हो तो वह क्या करें। इसके लिए किसी वास्तुशास्त्री से मिलकर स्थान को देखकर ही ढलान किधर होना चाहिए यह तय होगा.

* घर की छत में किसी भी प्रकार का उजालदान न हो. जैसे आजकल घर की छत में लोग दो-बाइ-दो का एक हिस्सा खाली छोड़ देते हैं उजाले के लिए. इससे घर में हमेशा हवा का दबाव बना रहेगा, जो सेहत और मन-मस्तिष्क पर बुरा असर डालेगा.

 

*तिरछी छत बनाने से बचें- छत के निर्माण में इस बात का ध्यान रखें कि वह तिरछी डिजाइन वाली न हों। इससे डिप्रेशन और स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं.

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* घर की छत की ऊंचाई भी वास्तु अनुसार होना चाहिए।। यदि ऊंचाई 8.5 फुट से कम होती है तो यह आपके लिए कई तरह की समस्याएं लेकर आती है और जीवन में आगे बढ़ना आपके लिए मुश्किल हो जाएगा है। घर यदि छोटा है तो छत की ऊंचाई कम से कम 10 से 12 फुट तक होनी चाहिए। इससे ज्यादा ऊंची रखने के लिए वास्तुशास्त्री से संपर्क करना चाहिए.

 

* घर की छत पर किसी भी प्रकार की गंदगी न करें. यहां किसी भी प्रकार के बांस या फालतू सामान भी न रखें. जिन लोगों के घरों की छत पर अनुपयोगी सामान रखा होता है, वहां नकारात्मक शक्तियां अधिक सक्रिय रहती हैं। उस घर में रहने वाले लोगों के विचार नकारात्मक होते हैं. परिवार में भी मनमुटाव की स्थितियां निर्मित होती हैं.

* घर की छत पर रखा पानी का टैंक किस दिशा में हो, यह जानना जरूरी है। उत्तर-पूर्व दिशा पानी का टैंक रखने के लिए उचित नहीं है, इससे तनाव बढ़ता है और पढ़ने-लिखने में बच्चों का मन नहीं लगता है। दक्षिण-पूर्व दिशा अग्नि की दिशा है इसलिए भी इसे पानी का टैंक लगाने के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है। अग्नि और पानी का मेल होने से गंभीर वास्तुदोष उत्पन्न होता है। वास्तु विज्ञान के अनुसार दक्षिण-पश्चिम यानी नैऋत्य कोण अन्य दिशा से ऊंचा और भारी होना शुभ फलदायी होता है.

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