जानिए किन तीन बातों से पक्‍का होगा आपका प्रोमोशन

नई दिल्ली : ‘लौरा मे मार्टिन’ संभवत: इस नाम को आपने सुना होगा। लेकिन लौरा गूगल में प्रोडक्‍ट‍िविटी ट्रेनर हैं। जहां किसी कर्मचारी की प्रोडक्‍ट‍िविटी को लेकर लौरा की धारणा, सामान्‍य सोच से काफी अलग है। वहीं लौरा मानती हैं कि प्रोडक्‍ट‍िव होने का अर्थ सिर्फ काम पूरा कर लेने या टार्गेट पूरा कर लेना नहीं है।

प्रमोशन

बल्‍क‍ि इससे प्रोडक्‍ट‍िव का अर्थ बहुत विस्‍तृत है। जहां कोई कर्मी किसी दिन सिर्फ फिल्‍म देखकर भी प्रोडक्‍ट‍िव हो सकता है। अपनी प्रोडक्‍ट‍िविटी को पहचानने और बढ़ाने की इसलिए जरूरत है, क्‍योंकि इसपर हमारा ग्रोथ भी निर्भर करता है।

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जहां अपने समय, काम और परिवार का संतुलन कैसे बनाना है और खुद को ज्‍यादा से ज्‍यादा प्रोडक्‍ट‍िव कैसे बनाना है, इस बारे में लौरा ने ये दिए खास टिप्स –

बता दें की ज्‍यादातर लोगों के लिए प्रोडक्‍ट‍िव दिन का अर्थ एक ऐसा दिन होता है, जिसमें उन्‍होंने सोचे हुए सारे काम खत्‍म कर लिए हों। लेकिन मार्टिन ऐसा नहीं मानतीं। जहां लौरा मे मार्टिन कहती हैं कि Netflix देखते हुए पूरा दिन गुजार देना भी प्रोडक्‍ट‍िव दिन हो सकता है।

इसलिये मार्टिन का ये मानना है कि जो काम आप इरादतन करना चाहते हैं या शिद्दत से करना चाहते हैं, उसे पूरा करना भी प्रोडक्‍ट‍िव ही हुआ हैं। वहीं ये जानना कि आप क्‍या करना चाहते हैं, उसे करने का इरादा बना रहे हैं और वह काम करते भी हैं – तो यह सबसे ज्‍यादा प्रोडक्‍ट‍िव होगा।

देखा जाये तो एटीएम से कैश निकालने के लिए लंबी लाइन लगी हो और आप भी उसका एक हिस्‍सा हों, तो आप इस खाली समय में क्‍या करते हैं। वहीं ज्‍यादातर लोग सोशल मीडिया पर चैट करते हैं या ऑनलाइन विंडो शॉपिंग करते हैं कुछ लोग मोबाइल पर गेम खेलते हैं।

यानी आप इस खाली समय में भी खुद को कहीं ना कहीं व्‍यस्‍त ही रखते हैं मार्टिन का मानना है कि ऐसा करते हुए आप अपनी सोच और खयालों की बेहतरीन दुनिया को देखने और उसमें खो जाने का मौका छोड़ देते हैं। क्‍योंकि यही वो क्षण होता है जब आपके दिमाग में सबसे अच्‍छे आइडियाज आ सकते हैं।

मार्टिन के थ्‍योरी को मनोवैज्ञानिक भी मानते हैं। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार दरअसल जब हमारा दिमाग कहीं व्‍यस्‍त नहीं होता है तो उसके लिए उन चीजों को याद करना आसान होता है, जिसे वह भूल गया है या भूलने की कगार पर है, हो सकता है इस दौरान आपको कोशिश किए बिना ही किसी समस्‍या का समाधान मिल जाए।

मार्टिन इस क्षण को ‘शॉवर मोमेंट’ कहती हैं, जो कहीं भी और कभी भी मिल सकता है ऑफिस में काम के बीच ब्रेक में, घर में, सड़क पर कहीं भी लौरा मार्ट‍िन कहती हैं कि इस दौरान हम अपने दिमाग को थोड़ा स्‍पेस देते हैं। वह नये संपर्क बनाता है। लेकिन इस खाली समय का इस्‍तेमाल जब आप ईमेल करने या मीटिंग में करते हैं तो वह अच्‍छा मौका खो देते हैं।

दरअसल मार्टिन को डेनियल पिंक की किताब ‘The Scientific Secrets of Perfect Timing’ बेहद पसंद है। इस किताब में यह बताया गया है कि अपने समय को खूबसूरती से कैसे इस्‍तेमाल कर सकते हैं। जहां किताब में वैज्ञानिक आधार देते हुए यह कहा गया है कि तथ्यों का विश्लेषण करने या रचनात्मक बने रहने की हमारी क्षमता में पूरे दिन उतार चढ़ाव होता रहता है।

वहीं वैज्ञानिक भी ये मानते हैं कि किसी व्‍यक्‍त‍ि के काम करने की क्षमता सुबह में ज्‍यादा हो सकती है, वहीं दूसरे की शाम में जबकि कुछ लोग सुबह या दोपहर से बेहतर देर रात में काम कर पाते हैं।

डेनियल पिंक की किताब में इस समय को ‘पावर आवर’ का नाम दिया गया है। यानी जिस पल आपकी क्षमता सबसे ज्‍यादा मजबूत होती है। जहां इस समय को अपने सबसे जरूरी काम के लिए इस्‍तेमाल करें। उसे दूसरों के लिए ज़ाया ना करें। लेकिन अगर आप ऐसा समझ लेते हैं और कर लेते हैं तो ये आपकी लाइफ का गेम चेंजर हो सकता है।

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