जानिए उत्तर प्रदेश में कितने हैं ‘चौकीदार’, 4.63 लाखों ट्वीट महज 1300 यूजरों ने किए…

पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा मार्च में शुरू किए गए ‘मैं भी चौकीदार’ अभियान को उत्तर प्रदेश में मतदान और प्रचार अभियान के दौरान काफी समर्थन मिला। इसे लेकर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से संबंधित रिसर्च पर काम कर रहे संगठन एंथ्रो डॉट एआई द्वारा किए गए आकलन के अनुसार प्रदेश में 26 हजार ट्विटर प्रोफाइलों में चौकीदार शब्द जोड़ा गया, लेकिन केवल 10 प्रतिशत प्रोफाइल इस दौरान हुए 70 प्रतिशत ट्वीट्स के पीछे थे।

मोदी

बता दें की चुनावों के दौरान 17 मार्च को पीएम मोदी और उनकी कैबिनेट ने ट्विटर पर चौकीदार बनकर इस अभियान की शुरुआत की थी। 19 अप्रैल तक अकेले यूपी में 26 हजार चौकीदार बन चुके थे।

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जहां इनके जरिए प्रदेश में 8.50 लाख ट्वीट किए गए। लेकिन केवल 1300 अकाउंट ऐसे थे, जिनसे 4.63 लाख ट्वीट किए गए। प्रति अकाउंट किए ट्वीट का आकलन करें तो इन 1300 अकाउंट में से हर एक ने इस करीब एक महीने के दौरान 356 ट्वीट किए, यानी हर रोज 11 से 12 ट्वीट।

9,000 ट्वीट एक ही अकाउंट से –

 

रिपोर्ट के अनुसार, कुछ विशेष अकाउंट ऐसे भी थे, जिनसे नौ हजार तक ट्वीट किए गए। वहीं 10 प्रतिशत यानी 2600 अकाउंट्स के जरिए 70 प्रतिशत ट्वीट हुए। 24 हजार अकाउंट्स ने पूरे महीने में केवल 10 ट्वीट्स ही किए।

20 मार्च को सर्वाधिक
बीस मार्च को सर्वाधिक ट्वीट ‘मैं भी चौकीदार’ के नाम से किए गए। इस दौरान प्रियंका गांधी जहां नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र में दौरा कर रही थीं, तो वहीं भाजपा ने चौकीदार थीम पर गाने रिलीज किए थे। दूसरा बड़ा अभियान छह अप्रैल को रहा, जब भाजपा के स्थापना दिवस पर यह ट्वीट किए गए।

 

लेकिन इस दौरान चलाए गए हैशटैग से भी यूपी में भाजपा समर्थकों के रुख को भांपा जा सकता था। हैशटैग उत्तर प्रदेश 74 पार को तेजी से चलाया गया, लेकिन आठ अप्रैल को भाजपा का चुनाव घोषणापत्र आने के साथ यह हैशटैग खत्म सा हो गया। बल्कि अचानक 31 मार्च से ही फिर एक बार मोदी सरकार नाम से हैशटैग चलाया गया, जिसने पिछले हैशटैग की बाकी समय के लिए जगह ले ली।

 

दरअसल इन ट्वीट्स की सख्या और यूजरनेम के आधार पर संभावना जताई गई है कि अधिकतर यूजर बॉट्स या आईटी सेल के लोग हो सकते हैं। जिस प्रकार के समन्वय से इन ट्वीट्स को किया गया और फिर बदला गया, ऐसे में बॉट्स की संभावना जताई गई है।

 

ट्विटर बॉट्स यानी ऐसे ऑटोमेटेड यूजर्स जो किसी वास्तविक मनुष्य की तरह ट्विटर का उपयोग करते हैं, लेकिन इसका आधार उन्हें पूर्व में दिए गए निर्देश होते हैं। मार्च 2017 में इनकी संख्या करीब 15 प्रतिशत आंकी गई थी, इस समय यह संख्या डेढ़ गुना बढ़ने का अनुमान है, इन्हें फेक न्यूज बढ़ाने वाला माना गया है।

 

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