जानिए आखिर ये क्या है नया आधार कानून , पीएम मोदी जिस पर सुप्रीम कोर्ट का पलट रही हैं आदेश…

राज्यसभा में सोमवार यानी 8 जुलाई को नया आधार संशोधन बिल पास किया गया. इसके पहले ये बिल लोकसभा में पास किया जा चुका था. राज्यसभा में पास किए जाने के बाद इस बिल पर राष्ट्रपति की मुहर लगनी है और फिर ये बिल एक कानून की तरह सामने आएगा.

बतादें की आधार बिल पास किए जाने के बाद पूरी बहस कठिन हो गयी है. कुछ लोग कह रहे हैं कि ये बिल भारतीय नागरिकों की प्राइवेसी के साथ खिलवाड़ है, और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है, और सरकार का तर्क है कि इस बिल की मदद से नागरिकों की जानकारी और उनकी व्यक्तिगत जानकारियां सुरक्षित हैं.लेकिन क्या है शुरुआत से लेकर अंत तक का मसला? आधार बिल की शुरुआत और अब तक का सफ़र? आइये देखते हैं?

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जब देश में यूपीए की सरकार थी. इनफ़ोसिस के डायरेक्टर नंदन नीलेकणि ने इसकी कमान सम्हाली. और पूरी तैयारी के साथ इसे लांच किया गया 2010 में. लाने के पीछे कोशिश यही थी कि सभी नागरिकों को उनकी परिस्थितियों के हिसाब से सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे मिले. धीरे-धीरे कुछ शहरों में शुरू की गयी योजना, देश के हरेक राज्य में गयी.2014 में यूपीए चली गयी. भाजपा सत्ता में आयी. मोदी सरकार ने इस योजना को धीरे-धीरे और बढ़ाना शुरू कर दिया और कई सारी योजनाओं – जैसे बैंक खाते, फोन कनेक्शन – से जोड़ दिया.

यह मामला फंसा ऐसे कि मोदी  सरकार ने योजनाओं को सिर्फ आधार सिस्टम से जोड़ा ही नहीं, बल्कि अनिवार्य कर दिया. चूंकि आधार कार्ड बनवाने में आंखों की पुतली और उंगलियों की छाप ज़रूरी होती है, तो कई उम्रदराज़ लोगों के आधार कार्ड पहले तो बन ही नहीं पाते थे. और अगर बन जाते थे तो बैंकों में और फोन कनेक्शन में कई बार मैच नहीं होते थे. और चूंकि नियम के तहत ये ज़रूरी था, तो बिना आधार या उंगली के सही छाप के ये लोग सुविधाओं का लाभ नहीं उठा पाते थे.

ये बहस हो ही रही थी कि आधार को सर्व-सुलभ कैसे बनाया जाए, तभी धीरे-धीरे आधार का डेटा लीक होने की खबरें आने लगीं. लोगों की व्यक्तिगत जानकारियां हर जगह दिखने लगीं.ट्विटर पर एलियट एंडरसन नाम के हैकर ने भारत की कई बड़ी सरकारी वेबसाइटों को खंगाला और पता लगाया कि इन वेबसाइटों पर लोगों की पर्सनल जानकारियां आसानी से उपलब्ध हैं, और ये हुआ सिर्फ आधार की वजह से बहस उठी कि सरकार आधार मांग तो रही है, लेकिन लोगों की निजी जानकारियों को बचा नहीं पा रही है.

लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल सितम्बर में कहा कि आधार का उपयोग बस जनकल्याण योजनाओं के सीधे ट्रांसफर के लिए हो सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों और टेलीकॉम सेक्टर पर यह प्रतिबन्ध लगाया कि वे आधार का इस्तेमाल अपनी सुविधाएं देने के लिए नहीं कर सकते हैं. इसके साथ ही साथ प्राइवेट कंपनियों के लिए भी आधार के उपयोग पर प्रतिबन्ध लगा दिया.कोर्ट ने यह भी कहा कि नागरिकों को उनका आधार अपने बैंक खाते और फोन कनेक्शन से जोड़ने की ज़रुरत नहीं है.

इस बिल के बाद सरकार एक बिल पर काम करने लगी. बिल पेश हुआ. लोकसभा में पूर्ण बहुमत से पास हो गया. बिल गया राज्यसभा में. राज्यसभा में वौइस् वोट हुआ, यानी सांसदों ने “हां” और “ना” की आवाजों के साथ वोटिंग की और आधार बिल राज्यसभा में भी पास हो गया.इस संशोधन बिल में सरकार ने कहा है कि भारतीय नागरिक अपनी इच्छा से आधार का उपयोग कर सकते हैं. केंद्र सरकार ने अपने आधिकारिक वक्तव्य में कहा है

दरअसल सरकार ने यह भी कहा है कि 18 वर्ष की कम आयु के बच्चे अगर आधार रखते हैं, और 18 वर्ष की आयु तक आने पर वे अपना आधार कैंसिल करा सकते हैं. इस पर सदन में बहस करते हुए भाजपा नेता, कानून मंत्री और आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आधार से जुड़ा डाटा पूरी तरह से सेफ है. उन्होंने ये भी कहा कि आधार से जुड़ी जानकारियां अदालत के आदेश और राष्ट्र की सुरक्षा को चुनौती के समय ही साझा की जाएंगी, बाकी समय सभी जानकारियां पूरी तरह से सेफ हैं.

 

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