जानिए आखिर क्यों हो रहा है नागरिकता संशोधन बिल पर विरोध…

राज्यसभा में मोदी सरकार द्वार नागरिकत संशोधन बिल पास कराने  की फेर में हैं। वहीं देखा जाये तो अमित शाह द्वारा राज्यसभा में उन्होंने नागरिकता संशोधन बिल पास करने का  प्रस्ताव सामने रखा हैं। जहां  उनका कहना हैं की नागरिकता संशोधन बिल में बांग्लादेश , पाकिस्तान और साथ ही अफगानिस्तान से हिन्दुओं को नागरिकता दी जाए । वहीं हिन्दू के साथ – साथ जैन ,  बौद्ध , पारसी ,  ईसाईयों को भी भारतीय नागरिकता दी जाए।

 

 

 

 

खबरों की माने तो नागरिकता संशोधन बिल का पूर्वोत्तर के राज्य विरोध कर रहे हैं। पूर्वोत्तर के लोग इस बिल को राज्यों की सांस्कृतिक, भाषाई और पारंपरिक विरासत से खिलवाड़ बता रहे हैं।

 

 

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देखा जाए तो (एनआरसी) का फाइनल ड्राफ्ट आने के बाद असम में विरोध-प्रदर्शन भी हुए थे। लेकिन इसमें जिन लोगों के नाम नहीं हैं, उन्हें सरकार ने शिकायत का मौका भी दिया था।
वहीं नागरिकता संशोधन बिल नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों को बदलने के लिए पेश किया जा रहा है, जिससे नागरिकता प्रदान करने से संबंधित नियमों में बदलाव होगा।
दरअसल भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए देश में 11 साल निवास करने वाले लोग योग्य होते हैं। नागरिकता संशोधन बिल में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शरणार्थियों के लिए निवास अवधि की बाध्यता को 11 साल से घटाकर 6 साल करने का प्रावधान है।

वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कई सभाओं के दौरान भी नागरिकता कानून में संशोधन की बात कर चुके हैं। इस कानून के विरोध में सबसे मुखर आवाज पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की है। वे पहले से ही पश्चिम बंगाल में एनआरसी को लागू करने से इनकार करती रही हैं। इस विधेयक के पास होने से वर्तमान कानून में बदलाव आएगा।

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